95% लोग खतरे में, कहीं आप भी तो नहीं | h pylori ayurvedic treatment in hindi

H pylori ayurvedic treatment in hindi के इस आर्टिकल में जानिए एच पाइलोरी क्या होता है ? एच पाइलोरी होने का कारण क्या है ? एच पाइलोरी होने का लक्षण, एच पाइलोरी के आयुर्वेदिक उपचार, एच पाइलोरी के रोकथाम के उपाय तथा एच पाइलोरी के गंभीर नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं?

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4 एच पाइलोरी का आयुर्वेदिक इलाज – h pylori ayurvedic treatment in hindi

एच पाइलोरी क्या होता है – h pylori kya hai

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H Pylori का पूरा नाम Helicobacter pylori है। यह बैक्टीरिया जो पेट में छोटी आंत के अंदरूनी दीवारों से चिपके रहते हैं जो पेट के लिए गंभीर स्तिथि पैदा करते हैं। यह पेट में सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले बैक्टीरिया (कृमियों) में से है। दवाई न करने पर यह 30-35 साल या जीवन भर व्यक्ति के पेट में जीवित रह सकते हैं जो प्रभावित व्यक्ति के लिए मृत्यु का कारण भी बन सकता है।

यह बैक्टीरिया छोटी आंत के अग्रणी भाग के दीवारों से चिपके रहते हैं जो खाद्यपदार्थों से मिलने वाली पोषक तत्वों को अपना आहार बनाते हैं। जिससे प्रभावित रोगी के शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है जिससे वह कमजोरी, थकान, आलस्य आदि का शिकार हो जाता है। यह एक प्रकार का संक्रमण रोग होता है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण हो सकता है।

विकासशील देशों में 95% लोग तथा विकसित में 30% लोग इसके चपेट में है, हालांकि यह सभी के लिए उतना गंभीर नहीं है लेकिन कुछ लोगों को गंभीर स्तिथि का भी सामना करना पड़ सकता है। हालांकि इस अनुपात को खानपान और जीवनशैली में बदलाव कर कम किया जा सकता है। जो आगे हम इसी आर्टिकल में चर्चा करने वाले हैं। जानने के लिए आगे पढ़ते रहें।

एच पाइलोरी होने के कारण – h pylori infection causes in hindi

h pylori kaise hota hai, आयुर्वेद के अनुसार पित्त दोष की वजह से H Pylori की संख्या बढ़ती है। चूंकि यह सभी लोगों पर समान रूप से संक्रमण नहीं होता तथा सभी लोगों को प्रभावित भी नहीं कर पाता। आइए जानते हैं यह कैसे फैलता है:

  • अस्वास्थ्य जीवनशैली के कारण
  • सुबह देर से उठना
  • देर रात तक जागना
  • नींद की कमी
  • दिन में भी सोये रहना
  • प्रतिदिन अधिक देर तक बैठे रहना
  • मोटापा के कारण
  • शारीरिक गतिविधि कम होने पर
  • अत्यधिक मानसिक तनाव या चिंता के कारण
  • अधिक भोजन करना जिसे पचने में अधिक समय लगता हो
  • तेलीय भोजन करने से
  • जंक फूड, फास्ट फूड, मैदा और मैदा से बने उत्पाद के इस्तेमाल से
  • संक्रमणों की वजह से:-
    • प्रभावित व्यक्ति के जूठे खाने से
    • mouth kissing करने से
    • प्रभावित व्यक्ति के मल-मूत्र आदि से भी फैल सकता है

एच पाइलोरी संक्रमण के लक्षण – h pylori symptoms hindi

H pylori को लक्षणों से पता लगाना थोड़ा कठिन होता है, कभी-कभी तो यह पता भी नहीं चलता। हालांकि डॉक्टर इसके जांच के लिए, खून, मल-मूत्र, अल्ट्रासाउन्ड, सिटी-स्कैन बगैरह से कर सकता है। लेकिन घर पर भी आप इसे गौर कर इनके कुछ लक्षणों से पहचान कर सकते हैं, जो इस प्रकार है:

  • पेप्टिक अल्सर , पेट के कैंसर होना
  • बार-बार डकारे आना, शरीर कंपना
  • पेट में हल्का दर्द या अचानक तेज दर्द,
  • पेट में सूजन, जलन, हमेशा पेट खराब रहना, पेट के निचले हिस्सों में दर्द रहना,
  • कब्ज, पाचन तंत्र खराब होना, भूख कम लगना या नहीं लगना
  • तेजी से वजन घटना या बढ़ना यानि अनियंत्रित वजन, शरीर न लगना
  • मुंह का स्वाद खराब होना या तीखा स्वाद आना या उल्टी जैसा महसूस होना
  • शारीरिक व मानसिक कमजोरी, एकाग्रता न बना पाना, आलस्य या काम में मन न लगा पाना
  • जी मिचलना, घबराहट होना, मतली आना, चक्कर आना
  • पेट साफ न होना, बदबूदार मल
  • पेशाब का रंग पीला होना या जलन होना, पेशाब खुलकर न आना,
  • सेक्स की समस्या होना, धातु या शीघ्रपत्तन होना
  • आंखे कमजोर होना, नींद का टूटना, आँखों में जलन
  • किसी जीवों या कीड़ों से अत्यधिक घृणा और शरीर का सिहरना
  • धूप से एलर्जी होना

एच पाइलोरी का आयुर्वेदिक इलाज – h pylori ayurvedic treatment in hindi

H Pylori संक्रमण को जड़ से खत्म करने के लिए कुछ प्रभावशाली जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल से किया जा सकता है। इन जड़ी-बूटियों में एंटीबैक्टीरियल गुण, एंटीबायोटिक गुण होता है जो बैक्टीरिया के विकास को रोकता है, उसके दुष्प्रभाव को कम करता है और अल्सर के घाव को ठीक करने में मदद करता है:

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एच पाइलोरी संक्रमण में मुलेठी जड़ के फायदे

मुलेठी जड़ का सेवन हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. pylori) संक्रमण में उपयोगी हो सकता है। मुलेठी में मौजूद एंटीबैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट्स गुण संक्रमण को रोकने, पाचन सुधारने और पेट की अन्य समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है। इसके अलावा मुलेठी आंत को ठंडा करने वाला होता है। मुलेठी में कई पोषक तत्व होते हैं, जिनमें विटामिन C, कैल्शियम, पोटासियम, मैग्नीशियम और आयरन आदि शामिल हैं। मुलेठी की जड़ को पाउडर बनाकर, चाय के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है या इसे टैबलेट के रूप में सेवन किया जा सकता है।

एच पाइलोरी संक्रमण में आंवला के फायदे – Benefits of Amla in H. Pylori infection in hindi

आयुर्वेद के अनुसार आंवला की तासीर ठंडी होती है। यह पित्त दोषों से उत्पन्न विकारों को ठीक करता है। शोध के अनुसार आंवले में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टीरियल, एंटी इंफ्लेमेन्टरी आदि गुण होता है जो एच पाइलोरी संक्रमण के लक्षणों को कम कर सकता है। इसके अलावा आंवले में विटामिन A, विटामिन C, आयरन, फाइबर आदि होता है जिससे भूख बढ़ता है, सूजन और वजन कम करता है, पेप्टिक अल्सर के घाव ठीक करता है, जीवाणुओं के विकास को खत्म करता है। इसके लिए 10 मिली ताजे आंवले के रस या जूस का सेवन करें। इसके अलावा 500-500 mg आंवला के कैप्सूल या पाउडर को सुबह-शाम खाली पेट शहद या पानी के साथ सेवन कर सकते हैं।

एच पाइलोरी इंफेक्शन में एलोवेरा के फायदे

एलोवेरा का सेवन एच पाइलोरी इंफेक्शन के उपचार में मददगार साबित हो सकता है। एलोवेरा में प्राकृतिक एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं, जो बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ने में मदद कर सकते हैं। यह एच पाइलोरी इंफेक्शन के लक्षणों को भी कम कर सकता है। एलोवेरा का रस निकालकर 1-2 चम्मच दिन में दो बार सेवन करें या इतनी ही मात्रा में एलोवेरा जूस का सेवन करें।

एच पाइलोरी संक्रमण में हल्दी के फायदे

हल्दी एक भारतीय मसाला है जो खाना में रंग लाने का काम करता है। हल्दी की तासीर गरम होती है। इसके अलावा इसमें अनेक औषधीय गुण होता है जो अब दवाई के रूप में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। हल्दी में कुरकुमिन नामक एंटीमाइक्रोबियल गुण होता है। इसके अलावा हल्दी में कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीइन्फ्लामेटरी, एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो हेलिकोबैक्टर पाइलोरी संक्रमण के लक्षणों को कम करने, सूजन कम करने तथा अल्सर ठीक ठीक करने में मदद करता है। इसके लिए हल्दी को दूध में मिलाकर, पाउडर के रूप में 2-3 ग्राम या कच्चे हल्दी का सेवन किया जा सकता है।

एच पाइलोरी संक्रमण में ब्रोकली के फायदे

ब्रोकली एच पाइलोरी संक्रमण में लाभकारी हो सकता है। इसमें प्राकृतिक रूप से सल्फोराफेन होता है। ब्रोकली के औषधीय गुण संक्रमण को खत्म करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा ब्रोकली में फाइबर, विटामिन C आदि पोषक तत्व होता है जो पाचन को सुधारते हैं और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं। यह ठंडा तासीर वाला होता है। इसके लिए ब्रोकली को ताजा या पका हुआ (सलाद या सूप के रूप में) सेवन किया जा सकता है।

एच पाइलोरी संक्रमण में अदरक के फायदे

अदरक की तासीर गरम होती है। अदरक को एच पाइलोरी संक्रमण में फायदेमंद माना जाता है। इसके लिए रोजाना अदरक की छोटी सी टुकड़ी सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा स्वादानुसार खाने में जोड़ा जा सकता है या अदरक का चाय बनाकर पी सकते हैं। इससे एच पाइलोरी की संक्रमण कम होती है और पाचन में सुधार होता है।

एच पाइलोरी संक्रमण में शहद के फायदे

शहद का सेवन हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. pylori) संक्रमण में लाभदायक हो सकता है। शहद की तासीर गर्म होती है। शहद में एंटीमाइक्रोबियल गुण होता है जो इस जीवाणुओं के खिलाफ लड़ सकते हैं। इसके अलावा शहद में विटामिन C, विटामिन B, फाइबर, पोटैशियम आदि जैसे पोषक तत्व होते हैं। शहद को नियमित रूप से दो चम्मच या डॉक्टर द्वारा दिया गया सुझाव के अनुसार सेवन किया जा सकता है। इससे संक्रमण को कम करने, पाचन को सुधारने और पेप्टिक अल्सर के घाव को ठीक करने में मदद मिलती है।

एच पाइलोरी संक्रमण में पान पत्ते के फायदे

पान पत्ते का सेवन हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. pylori) संक्रमण में लाभकारी हो सकता है। पान पत्ते में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो एच पाइलोरी के विकास को रोकते हैं। इसके अलावा पान पत्तों में विटामिन C, विटामिन A, कैल्शियम, मैग्नीशियम आयरन आदि जैसे पोषक तत्व भी होते हैं। पान पत्तों की तासीर ठंडी होती है। यह मेटाबॉलिज्म सिस्टम को मजबूत करने, खाना को पचाने में, सूजन में, संक्रमण को कम करने में मदद करता है। इसमें प्रतिदिन 1-2 पान के पत्ते चबाकर उनका रस पान करें।

एच पाइलोरी संक्रमण में नीम के फायदे

नीम के पत्तों और छाल का उपयोग हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. pylori) के संक्रमण में लाभकारी हो सकता है। इसकी तासीर ठंडी होती है। एच. पाइलोरी एक बैक्टीरिया है जो पेट में विकारों का कारण बन सकती है। नीम में मौजूद एंटीमाइक्रोबियल गुण हेलिकोबैक्टर पाइलोरी को मारने में मदद कर सकते हैं। नीम का उपयोग काढ़ा बनाने या पत्तियों को उबालकर चाय के रूप में किया जा सकता है। नीम के फायदों में मुख्य रूप से संक्रमण को कम करने, पाचन को सुधारने और सूजन कम करने में सहायक होता है।

एच पाइलोरी संक्रमण में शतावरी के फायदे

एच पाइलोरी (H. pylori) इंफेक्शन के समय शतावरी का उपयोग लाभकारी हो सकता है। इसकी ठंडी तासीर शीतल होती है। शतावरी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी तथा एंटीबैक्टीरियल गुण होता है जो संक्रमण कम करने, सूजन तथा अल्सर के घाव को ठीक करने में मदद कर सकता है। शतावरी को पाउडर या कैप्सूल के रूप में ले सकते हैं। शतावरी के जूस को 10-20 ml सेवन करें। इसे सुबह-शाम खाली पेट या भोजन के बाद भी लिया जा सकता है।

एच पाइलोरी संक्रमण में जैतून तेल के फायदे

जैतून के तेल का सेवन हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. pylori) में लाभकारी हो सकता है। इस तेल की तासीर ठंडी होती है। जैतून के तेल में एंटी-बैक्टीरियल गुण होता है जो एच पायलोरी संक्रमण को कम करने, सूजन कम को करने में मदद कर सकता है। शोध के अनुसार जैतून तेल एच पाइलोरी संक्रमण के खिलाफ लड़ने में कारगर है। इसके लिए जैतून के तेल से खाना बनाकर नियमित सेवन करें या इसे सलाद में सेवन करें।

एच पाइलोरी संक्रमण में कालमेघ के फायदे

आयुर्वेद के अनुसार कालमेघ एच. पाइलोरी संक्रमण में उपयोगी उपाय है। इसकी तासीर ठंडी होती है। कालमेघ में एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट्स गुण होता है जो हेलिकोबैक्टर पाइलोरी के संक्रमण को कम करने, पाचन क्रिया ठीक करने, पेट के सूजन ठीक करने में फायदेमंद होता है। आमतौर पर दिन में दो बार 1 ग्राम से 3 ग्राम की मात्रा में लिया जा सकता है। कालमेघ को पाउडर के रूप में ले सकते हैं या इसकी कच्ची पत्तियों को या सुखाकर उपयोग किया जा सकता है।

एच पाइलोरी संक्रमण में सौंफ के फायदे

सौंफ का सेवन हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. pylori) संक्रमण में लाभकारी हो सकता है। सौंफ में मौजूद एंटीमाइक्रोबियल गुण हेलिकोबैक्टर पाइलोरी के खिलाफ लड़ने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा सौंफ में फाइबर, विटामिन C और मिनरल्स मौजूद होते हैं, जो स्वस्थ आंतरिक प्रणाली के लिए लाभकारी होते हैं। सौंफ की तासीर ठंडी होती है। इसके सेवन से एच पाइलोरी संक्रमण कमहोती है, पाचन को सुधारने में मदद मिलती है।

एच पाइलोरी संक्रमण में इलाईची के फायदे

इलायची का सेवन हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. pylori) संक्रमण में लाभकारी हो सकता है। इलायची की तासीर गरम होती है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल तथा एंटीऑक्सीडेंट्स गुण होता है जो हेलिकोबैक्टर पाइलोरी संक्रमण को खत्म करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा इलायची में विटामिन C, कैल्शियम, फाइबर आदि जैसे पोषक तत्व होता है जो पाचन को सुधारने और पेट के घाव ठीक करने में मदद करता है। इसे पाउडर या भोजन में मिलाकर सेवन किया जा सकता है।

ध्यान दें

एच पाइलोरी एक जिद्दी बैक्टीरिया होता है, जो आसानी से खत्म होने का नाम ही नहीं लेता। दवाई का सेवन करने के दौरान इसका कोर्स कम्प्लीट करना बहुत जरूरी होता है। आधा-अधूरा दवाई खाने के बीच में छोड़ना प्रभावित रोगी के लिए गंभीर समस्या पैदा कर सकता है। पहले से स्तिथि गंभीर हो सकती है इसलिए इसका उपचार योग्य डॉक्टर या वैध की देख-रेख में ही करें।

एच पाइलोरी संक्रमण रोकथाम उपाय

एच पाइलोरी संक्रमण से पीड़ित लोगों को क्या खाना चाहिए और किन चीजों से परहेज करना चाहिए, आइए अब जानते हैं:

एच पाइलोरी संक्रमण में क्या खाना चाहिए

एच पाइलोरी संक्रमण से पीड़ित लोगों के लिए निम्नलिखित आहार हो सकता है:

  • खाना कम खाएं, जल्दी पचने वाला भोजन करें, जैसे- चावल, सब्जी, दाल, शाकाहारी भोजन ग्रहण करें।
  • नास्ता और भोजन नियमित सही समय पर करें, इस दौरान अधिक देर खाली पेट न रहें।
  • पर्याप्त स्वच्छ पानी पियें या फिर पानी को गर्म कर फिर उसे ठंडा होने दे फिर पियें।
  • दूध का सेवन कर सकते हैं पर इसमें कुछ लोगों को एलर्जी का भी सामना करना पड़ सकता है।

एच पाइलोरी संक्रमण में क्या नहीं खाना चाहिए

एच पाइलोरी संक्रमण में कुछ चीजों से परहेज की आवश्यकता हो सकती है; जैसे:-

  • शराब, कोल्ड ड्रिंक्स, फ्रीज का पानी, डायरी प्रोडक्टस, मैदा या मैदा से बने प्रोडक्टस
  • चीनी, लाल चाय या कॉफी, चॉकलेट, मिठाई आदि
  • मिर्च, बैगन, टमाटर, इमली, संतरा अन्य खट्टी चीजें
  • तली हुई, भुनी हुई भोजन या फास्ट फूड आदि से दूर रहें

एच पाइलोरी संक्रमण पीड़ितों के लिए जीवनशैली

एच पाइलोरी संक्रमणों से कैसे बचा जा सकता है, चूंकि H Pylori दो कारणों से फैल सकती है; जीवनशैली और खानपान। आप इसमें कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करके इस संक्रमण से बच सकते हैं; आइए जानते हैं:

  • सुबह जल्दी उठें, सूर्योदय से लगभग एक घंटा पहले
  • सुबह एक घंटे तक टहले या व्यायाम करें
  • योगा करें – अनुलम बिलोम, कपाल भाति, सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, अर्द्धचक्रासन आदि
  • रात को जल्दी सो जाएं ताकि अगले सुबह जल्दी उठ सकें
  • खाना समय पर खाएं, सुपाच्य भोजन करें
  • दिन में न सोएं, रात को पूरी नींद लें
  • बायां करवट लेकर सोएं इससे पाचन क्रिया ठीक से काम करता है।

एच पाइलोरी संक्रमण के जोखिम

कुछ स्तिथि में H Pylori के गंभीर नुकसान भी हो सकते है, ऐसा तब होता है जब इसकी संक्रमण की पहचान सही समय पर न किया जा सकें। लंबे समय तक एच पाइलोरी संक्रमण बने रहने से कई प्रकार की गंभीर समस्या बन जाती है। इलाज के अभाव में रोगी की मृत्यु भी सकती है इसलिए इसे नजरंदाज बिल्कुल भी न करें इसके बारे में सही जानकारी हासिल करें। आइए जानते हैं इनके गंभीर नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं:

  • पेट के अल्सर (peptic ulcer)
  • आंत की कैंसर
  • पेट के सूजन
  • कब्ज या acidity
  • गुदा द्वार से रक्त स्त्राव
  • एनीमिया अथवा खून की कमी
  • अत्यधिक थकान
  • कैल्शियम की कमी
  • मल में खून आना
  • पेट की परत कमजोर होना
  • एसिड रिफेल्स

इस तरह के कोई भी लक्षण दिखे तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं।

कृपया ध्यान दें:-

स्वस्थ्य जीवन शैली के लिए यह एक सामान्य जानकारी है इसे चिकित्सीय सलाह या दिशा-निर्देश न समझें। आपका जीवन बहुमूल्य है, कृपया इसे उपयोग में लाने से पहले डॉक्टर से उचित सलाह लेने की चेष्टा करें।

FAQ – h pylori ayurvedic treatment in hindi

एच पाइलोरी के लक्षण

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इन्फेक्शन के लक्षण में पेट की ऊपरी भाग में दर्द, पेट में गैस या पेट भरा हुआ महसूस होना, उल्टी, एसिडिटी, जलन आदि हो सकते हैं। भूख न लगना, वजन कम होना, बूढ़ापा के लक्षण भी हो सकते हैं।

एच पाइलोरी संक्रमण क्या है

एच पाइलोरी संक्रमण एक पेट के जीवाणु है जो छोटी आंत में स्थित होता है। एच पाइलोरी संक्रमण के कारण अपच, गैस, पेट दर्द, अल्सर आदि जैसी समस्या हो सकता है। हेलिकोबैक्टर पाइलोरी के इलाज के लिए आयुर्वेदिक उपचार उपयुक्त हो सकते हैं।

एच पाइलोरी क्या होता है

एच पाइलोरी (हेलिकोबैक्टर पाइलोरी) एक जीवाणु है जो पेट के ऊपरी हिस्से में संक्रमण करता है। यह भोजन को पचाने वाली पेट ऊतकों की गैस्ट्रिक वाल्व को बाधित कर सकता है, जिससे गैस, पेट दर्द, और पेट की समस्याएँ हो सकती हैं।

ह पाइलोरी कितने दिन में ठीक होता है

हेलीकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन का उपचार 14 दिनों के एंटीबायोटिक दवाओं के कोर्स से किया जाता है। उपचार समाप्त होने के 4 से 8 सप्ताह में डॉक्टर दुबारा जांच करता है यह देखने के लिए कि दवा ने बैक्टीरिया को ख़त्म कर दिया है या नहीं। कुछ लोगों को इस इंफेक्शन को पूरी तरह से ठीक करने के लिए एक से अधिक कोर्स की आवश्यकता हो सकती है।

क्या गैस्ट्रिक अल्सर ह पाइलोरी खतरनाक है

हां, गैस्ट्रिक अल्सर जो हेलिकोबैक्टर पाइलोरी से होता है, खतरनाक हो सकता है। यह पेट के अंदरूनी दीवारों को नुकसान पहुंचा सकता है। यदि समय पर उपचार न किया जाए तो यह अवसाद, तनाव अल्सर या रक्तस्राव जैसे गंभीर रूप ले सकता है।

अंतिम संदेश

एच पाइलोरी संक्रमण में आंवला, एलोवेरा, नीम, कालमेघ और मुलेठी जैसे औषधियों का सेवन उपयुक्त होता है। साथ ही अदरक, सौंफ, हल्दी, शतावरी आदि का उपयोग भी किया जा सकता है, जो संक्रमण ठीक करने, अल्सर के इलाज, पाचन सुधारने, पेट की दर्द, सूजन आदि को दूर करता है। h pylori ayurvedic treatment in hindi के लिए बेहतर जानकारी देने की कोशिश की गई है, आशा है आपको पसंद आए होंगे।

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नमस्कार दोस्तों, मैं इंडिया के सबसे बड़े लौहनगरी जमशेदपुर, झारखंड से हूँ। मैं इस ब्लॉग का लेखक और संस्थापक हूँ और इस ब्लॉग पर प्राकृतिक आयुर्वेदिक स्वास्थ्य, जड़ी-बूटियों की जानकारी, प्राकृतिक उपचार, घरेलू उपचार से संबंधित जानकारी नियमित साझा करता रहता हूँ।

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