fatty liver ayurvedic treatment in hindi के इस आर्टिकल में जानिए फैटी लीवर क्या होता है? साथ ही फैटी लिवर के लक्षण तथा लिवर फैटी होने के कारण, फैटी लिवर का आयुर्वेदिक उपचार तथा फैटी लिवर से बचने के उपाय, फैटी लिवर के लिए आहार, फैटी लीवर में परहेज तथा फैटी लिवर के नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं?
फैटी लीवर क्या होता है – fatty liver in hindi

फैटी लीवर (fatty liver in hindi) एक ऐसी स्थिति है जिसमें लीवर की कोशिकाओं में वसा जमा हो जाती है। यह समस्या तब होती है जब शरीर में वसा की मात्रा बढ़ जाती है और लीवर उसे सही तरीके से नहीं तोड़ पाता। फैटी लीवर के मुख्य कारणों में अधिक शराब पीना, मोटापा, डायबिटीज और असंतुलित खानपान शामिल हैं।
अधिकतर मामलों में यह कोई लक्षण नहीं दिखाता, लेकिन कुछ लोगों में थकान, पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द और वजन घटने जैसे लक्षण हो सकते हैं। समय पर ध्यान न देने पर यह लीवर की सूजन और सिरोसिस जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। इसके इलाज के लिए स्वस्थ खानपान, व्यायाम और शराब से परहेज जरूरी है।
फैटी लिवर के लक्षण – fatty liver symptoms in hindi
फैटी लिवर के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं :
- थकान व कमजोरी
- वजन बढ़ना
- पेट में दर्द
- भूख न लगना
- त्वचा और आंखों का पीला होना
- सूजन
- मल का रंग हल्का होना
- गहरा मूत्र
- उल्टी आना
- भूलने की समस्या
- हाथों में कंपन
लिवर फैटी होने के कारण – fatty liver reasons in hindi
लिवर में फैट जमा होने के कारण निम्नलिखित हैं:
- अधिक शराब पीना
- मोटापा
- मधुमेह
- उच्च कोलेस्ट्रॉल
- खराब खानपान
- सामान्य व्यायाम की कमी
- तेजी से वजन घटाना
- पोषक तत्वों की कमी
- कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव से
- अनुवांशिक कारण
- हार्मोनल असंतुलन
- हाइपरटेंशन अथवा उच्च रक्तचाप
- ओवरईटिंग
फैटी लीवर के प्रकार – types of fatty liver in hindi
फैटी लीवर के निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं:
- अल्कोहलिक फैटी लीवर (शराब से संबंधित): यह तब होता है जब लीवर में अत्यधिक शराब के सेवन के कारण वसा जमा हो जाती है। शराब लीवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है, जिससे लीवर में वसा का संचय होता है।
- गैर-अल्कोहलिक फैटी लीवर (NAFLD): यह तब होता है जब लीवर में वसा जमा हो जाती है लेकिन शराब का सेवन नहीं किया जाता। यह अधिक वजन, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, और खराब खान-पान के कारण हो सकता है। यह दो प्रकार का होता है:
- सरल फैटी लीवर (स्टेटोसिस): इसमें लीवर में केवल वसा जमा होती है लेकिन कोई सूजन या लीवर की कोशिकाओं को नुकसान नहीं होता।
- नॉन-अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (NASH): इसमें लीवर में वसा के साथ-साथ सूजन और कोशिकाओं को नुकसान होता है, जो लिवर सिरोसिस या लिवर कैंसर में बदल सकता है।
- गर्भावस्था से संबंधित फैटी लीवर: यह गर्भावस्था के दौरान एक दुर्लभ लेकिन गंभीर स्थिति है, जिसमें लीवर में वसा जमा हो जाती है। इसे ‘एक्यूट फैटी लीवर ऑफ प्रेगनेंसी’ (AFLP) कहा जाता है।
फैटी लिवर का आयुर्वेदिक उपचार – fatty liver ayurvedic treatment in hindi
फैटी लिवर का आयुर्वेदिक उपचार निम्नलिखित है:

फैटी लिवर में मुनक्का के फायदे
फैटी लिवर में मुनक्का (किशमिश) फायदेमंद होता है। चूंकि मुनक्का में एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन और खनिज होते हैं जो लीवर की सेहत में सुधार करते हैं। मुनक्का लीवर को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करता है और सूजन को कम करता है। इसमें मौजूद पोटैशियम और मैग्नीशियम लीवर को साफ रखने में सहायक होते हैं। इसके लिए रोजाना 5-7 मुनक्का रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करें। इसके सेवन से लीवर स्वस्थ बना रहता है।
फैटी लिवर में आंवला के फायदे
फैटी लीवर में आंवला फायदेमंद होता है। आंवला में विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो लीवर की स्वस्थ को बनाए रखने में मदद मिलती है। आंवला के उपयोग से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है तथा यह लीवर की सूजन कम करता है। साथ ही यह वसा को जमा होने से रोकता है। इसके लिए रोजाना एक से दो आंवला फल या 10-20 मिलीलीटर आंवला रस का सेवन करना लाभदायक होता है। आंवला को कच्चा खाया जा सकता है, इसका रस भी पी सकते हैं या आंवला पाउडर को पानी या शहद के साथ भी सेवन किया जा सकता है।
फैटी लिवर में हल्दी के फायदे
फैटी लिवर में हल्दी के कई फायदे हैं। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है, जो लीवर की सूजन को कम करता है और लीवर की कार्यक्षमता को सुधारता है। इसके सेवन के लिए एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर रोजाना रात को सोने से पहले पी सकते हैं। इसके अलावा, आप हल्दी को अपने खाने में भी शामिल कर सकते हैं। इससे फैटी लिवर की समस्या में काफी राहत मिलती है।
फैटी लिवर में गिलोय के फायदे
फैटी लिवर के उपचार में गिलोय से फायदे हो सकते हैं क्योंकि इसमें लीवर को डिटॉक्स करने और उसकी कार्यक्षमता को सुधारने वाले गुण होते हैं। गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो लीवर की सूजन को कम करते हैं और उसे स्वस्थ बनाते हैं। इसके सेवन के लीवर एंजाइम्स का संतुलन और लीवर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। फैटी लिवर के लिए रोजाना 10-20 मिलीलीटर गिलोय का रस या एक कप गिलोय का काढ़ा सुबह-शाम सेवन करना फायदेमंद होता है।
फैटी लिवर में त्रिफला के फायदे
त्रिफला फैटी लिवर में बहुत फायदेमंद होता है। चूंकि त्रिफला में तीन फल – आंवला, बहेड़ा और हरड़ या हरीतकी शामिल होते हैं, जो लीवर को डिटॉक्स करने और उसकी कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। त्रिफला एंटीऑक्सिडेंट गुणों से भरपूर होता है, जो लीवर की सूजन को कम करता है और वसा के संचय को रोकता है। आमतौर पर त्रिफला पाउडर का एक चम्मच (लगभग 5 ग्राम) रात में गर्म पानी के साथ या डॉक्टर की सलाह अनुसार लिया जा सकता है। इसके नियमित सेवन से लीवर की सेहत में सुधार होता है और पाचन तंत्र भी मजबूत होता है।
फैटी लिवर में भृंगराज के फायदे
भृंगराज फैटी लिवर के इलाज में काफी फायदेमंद है। यह लीवर की कार्यक्षमता को सुधारता है और लीवर की सूजन को कम करता है। भृंगराज में हिपेटोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं, जो लीवर को विषाक्त पदार्थों से बचाने में मदद करते हैं साथ ही यह लीवर की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करता है। इसके लिए 10-15 मिलीलीटर भृंगराज का रस या 1-2 ग्राम भृंगराज पाउडर को दिन में दो बार पानी या शहद के साथ सेवन करें।
फैटी लिवर में नीम के फायदे
फैटी लीवर में नीम की पत्तियाँ बहुत फायदेमंद होती हैं। इनमें एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो लीवर की सूजन को कम करने और लीवर की कार्यक्षमता को सुधारने में मदद करते हैं। नीम लीवर को डिटॉक्स करने में सहायक होता है और लीवर की वसा को कम करता है। नीम की पत्तियों का रस या पाउडर सुबह खाली पेट लेने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। आप 5-10 नीम की पत्तियों का रस निकालकर या 1-2 ग्राम नीम पाउडर एक गिलास पानी में मिलाकर पी सकते हैं। इसे लगातार एक महीने तक लेने से फैटी लीवर में सुधार देखा जा सकता है।
फैटी लिवर में कुटकी के फायदे
कटुकी (पिक्रोराइज़ा कुरोआ) फैटी लीवर के इलाज में बहुत फायदेमंद है। यह एक प्राकृतिक हेपाटोप्रोटेक्टिव (लीवर की रक्षा करने वाला) जड़ी बूटी है जो लीवर की सूजन कम करती है और लीवर कोशिकाओं की मरम्मत में मदद करती है। कटुकी में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं, जो लीवर को विषाक्त पदार्थों से बचाते हैं। सामान्यत: कटुकी का पाउडर या कैप्सूल के रूप में सेवन किया जा सकता है। रोजाना 1-2 ग्राम कटुकी पाउडर को पानी या शहद के साथ लें, या डॉक्टर की सलाह के अनुसार इसकी खुराक तय करें।
फैटी लिवर में एलोवेरा के फायदे
फैटी लीवर में एलोवेरा फायदेमंद होता है। चूंकि एलोवेरा में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो लीवर की सूजन कम करने और उसकी कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। एलोवेरा लीवर को विषाक्त पदार्थों से भी साफ करता है, जिससे फैटी लीवर की समस्या में राहत मिलती है। एलोवेरा का रस लीवर के स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक होता है। रोज़ाना सुबह खाली पेट 10-20 मिलीलीटर एलोवेरा का रस लेना लाभकारी होता है।
फैटी लीवर में पुनर्नवा के फायदे हो सकते हैं। चूंकि यह लीवर की सूजन को कम करती है और लीवर की समस्त कार्यक्षमता को सुधारने में मदद कर सकती है। पुनर्नवा में प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो लीवर को पुनर्जीवित करने और उसकी क्षति को कम करने में सहायक होते हैं। पुनर्नवा का रस या काढ़ा बनाकर सेवन किया जा सकता है। आमतौर पर, दिन में दो बार 10-20 मिलीलीटर पुनर्नवा का रस या एक कप पुनर्नवा का काढ़ा सेवन करना फायदेमंद होता है।
फैटी लिवर में भूमिआंवला के फायदे
फैटी लिवर में भूमिआंवला फायदेमंद होता है। यह लीवर की सूजन को कम करने और लीवर की कार्यक्षमता को सुधारने में मदद करता है। भूमिआंवला में एंटीऑक्सीडेंट और हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं, जो लीवर को विषाक्त पदार्थों से बचाते हैं और वसा की मात्रा को कम करते हैं। आमतौर पर, भूमिआंवला का रस या पाउडर उपयोग किया जा सकता है। रोजाना 10-20 मिलीलीटर भूमिआंवला का रस या 1 चम्मच पाउडर, गुनगुने पानी के साथ सुबह-शाम लेना लाभकारी होता है।
फैटी लिवर में चित्रक के फायदे
फैटी लीवर में चित्रक फायदेमंद होता है। चित्रक लीवर की कार्यक्षमता को सुधारने में मदद करती है और लीवर से वसा को कम करने में सहायक होती है। इसके औषधीय गुणों में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण शामिल हैं, जो लीवर को डिटॉक्सिफाई करते हैं और सूजन को कम करते हैं। आमतौर पर चित्रक का पाउडर या काढ़ा सेवन किया जाता है। पाउडर की 1-2 ग्राम मात्रा को दिन में दो बार पानी या शहद के साथ लिया जा सकता है। काढ़े के लिए, 1-2 ग्राम चित्रक को 1 कप पानी में उबालकर छान लें और दिन में एक बार सेवन करें।
इन उपायों को अपनाने से फैटी लिवर की समस्या में राहत मिल सकती है। किसी भी उपाय को शुरू करने से पहले डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श जरूर करें।
कृपया ध्यान दें:-
स्वस्थ्य जीवन शैली के लिए यह एक सामान्य जानकारी है इसे चिकित्सीय निर्देश या सलाह न समझें। आपका जीवन बहुमूल्य है, कृपया इसे व्यवहार में लाने से पहले डॉक्टर से उचित सलाह लेने की चेष्टा करें।
फैटी लिवर से बचने के उपाय – Ways to avoid fatty liver in hindi
फैटी लिवर से बचने के निम्नलिखित उपाय हो सकते हैं :
- संतुलित आहार लें: फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और कम वसा वाले प्रोटीन का सेवन करें। तले हुए और अत्यधिक वसा वाले खाने से बचें।
- वजन नियंत्रित रखें: यदि आपका वजन अधिक है, तो धीरे-धीरे वजन कम करें। वजन घटाने के लिए नियमित व्यायाम और सही आहार का पालन करें।
- नियमित व्यायाम करें: हर दिन कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करें, जैसे तेज चलना, साइकिल चलाना या तैरना।
- शराब से बचें: शराब का सेवन कम से कम करें या पूरी तरह से बंद कर दें। शराब लीवर को नुकसान पहुंचा सकती है और फैटी लिवर की समस्या बढ़ा सकती है।
- चीनी और कार्बोहाइड्रेट कम करें: चीनी और परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करें। मीठे पेय और जंक फूड से बचें।
- स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: धूम्रपान न करें और नशीले पदार्थों से दूर रहें। पर्याप्त नींद लें और तनाव को कम करने की कोशिश करें।
- नियमित चिकित्सा जांच: लीवर की नियमित जांच कराएं और डॉक्टर की सलाह का पालन करें। यदि लीवर से संबंधित कोई समस्या हो, तो समय पर इलाज कराएं।
फैटी लिवर के लिए आहार – fatty liver diet in hindi
फैटी लिवर में निनलिखित आहार लिया जा सकता है :
- हरी सब्जियाँ: पालक, ब्रोकोली, केल जैसी सब्जियाँ खाएँ। ये एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती हैं जो लीवर को स्वस्थ रखते हैं।
- फल: सेब, अंगूर और जामुन जैसे फल खाएँ। इनमें फाइबर और विटामिन होते हैं जो लीवर के लिए अच्छे होते हैं।
- होल ग्रेन्स: ब्राउन राइस, ओट्स और क्विनोआ जैसे होल ग्रेन्स खाएँ। ये कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्रोत होते हैं और पेट को भरा रखते हैं।
- लीन प्रोटीन: चिकन, मछली आदि जैसे लीन प्रोटीन स्रोत खाएँ। ये मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं और लीवर पर कम बोझ डालते हैं।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड: मछली के तेल, अखरोट और अलसी के बीज खाएँ। ये सूजन को कम करते हैं और लीवर की चर्बी घटाते हैं।
- लो-फैट डेयरी उत्पाद: स्किम्ड मिल्क, लो-फैट योगर्ट और कम फैट वाला पनीर खाएँ। ये कैल्शियम और प्रोटीन का अच्छा स्रोत होते हैं।
- नट्स और बीज: बादाम, अखरोट और चिया सीड्स खाएँ। ये स्वस्थ फैट और प्रोटीन का अच्छा स्रोत होते हैं।
- पानी: खूब सारा पानी पिएँ। यह शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और लीवर को साफ रखता है।
फैटी लीवर में परहेज – fatty liver avoid food in hindi
फैटी लीवर में परहेज करने के लिए निम्नलिखित चीजों से बचें:
- शराब: शराब लीवर को नुकसान पहुंचाती है और फैटी लीवर की समस्या को बढ़ा सकती है। इसे पूरी तरह से बंद करना जरूरी है।
- तला हुआ और वसायुक्त खाना: फास्ट फूड, तले हुए और वसायुक्त खाने से लीवर पर दबाव बढ़ता है और वसा जमा हो सकती है। जैसे- फ्रेंच फ्राइज, बर्गर और तला हुआ चिकन।
- चीनी और मीठे पेय: चीनी और मीठे पेय पदार्थ, जैसे सोडा, केक, पेस्ट्री और कैंडी, लीवर में वसा जमा कर सकते हैं। इससे परहेज करें।
- सफेद ब्रेड और पास्ता: सफेद ब्रेड और पास्ता में रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट होते हैं जो लीवर के लिए अच्छे नहीं होते। इनके बजाय साबुत अनाज का सेवन करें।
- प्रोसेस्ड फूड: प्रोसेस्ड फूड जैसे- जंक फूड, डिब्बाबंद फूड और इंस्टेंट नूडल्स आदि में उच्च मात्रा में सोडियम, शुगर और अनहेल्दी फैट होते हैं। यह लिवर की हालत को और अधिक बिगाड़ सकती है।
- लाल मांस: लाल मांस में संतृप्त वसा अधिक होती है, जो लीवर के लिए नुकसानदायक हो सकती है। इसके बजाय, चिकन या मछली का सेवन करें।
- सोडियम युक्त खाद्य पदार्थ: अधिक नमक वाले खाद्य पदार्थ लीवर के लिए हानिकारक हो सकते हैं। जैसे- अचार, चिप्स और डिब्बाबंद सूप। खाने में नमक की मात्रा सीमित रखें।
फैटी लिवर के नुकसान – fatty liver side effects in hindi
फैटी लिवर के नुकसान:
- यकृत (लीवर) की सूजन (हैपेटाइटिस): फैटी लिवर से यकृत में सूजन हो सकती है, जिसे हैपेटाइटिस कहते हैं। यह सूजन दर्द और असुविधा का कारण बन सकती है।
- यकृत का रोधगलन (सिरोसिस): लिवर में अधिक वसा जमने से ऊतकों में घाव बनने लगते हैं। लंबे समय तक ऐसा होने पर लिवर का रोधगलन हो सकता है, जिससे लिवर की कार्यक्षमता घट जाती है।
- लिवर फेलियर (यकृत विफलता): यदि फैटी लिवर का समय पर इलाज नहीं किया गया, तो यह लिवर फेलियर का कारण बन सकता है। इसमें लिवर पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है, जो जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है।
- डायबिटीज का खतरा: फैटी लिवर से इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ सकता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
- हृदय रोग का जोखिम: फैटी लिवर से हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है, क्योंकि यह उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप से संबंधित होता है।
- थकान और कमजोरी: फैटी लिवर से व्यक्ति को अक्सर थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है, क्योंकि लिवर शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों का ठीक से उपयोग नहीं कर पाता।
- वजन बढ़ना: फैटी लिवर के कारण वजन बढ़ सकता है और मोटापा हो सकता है, जो स्वास्थ्य के लिए अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
FAQ – fatty liver ayurvedic treatment in hindi
फैटी लीवर क्या है
फैटी लीवर एक ऐसी स्थिति है जिसमें लीवर की कोशिकाओं में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है। यह अधिक शराब पीने या खराब खानपान के कारण हो सकता है। समय पर इलाज न करने पर यह लीवर की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
फैटी लीवर के क्या लक्षण है
फैटी लिवर के लक्षणों में थकान, कमजोरी, पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में दर्द या असुविधा शामिल हैं। कभी-कभी वजन कम होना, भूख न लगना और त्वचा या आंखों का पीला होना (जॉन्डिस) भी हो सकता है। अक्सर कोई लक्षण नहीं होते और यह नियमित जांच में पता चलता है।
फैटी लीवर क्यों होता है
फैटी लिवर अक्सर अत्यधिक शराब पीने, मोटापा, अनियमित खानपान और शारीरिक सक्रियता की कमी के कारण होता है। इसके अलावा, टाइप 2 डायबिटीज, उच्च कोलेस्ट्रॉल और कुछ दवाइयों का सेवन भी फैटी लिवर का कारण बन सकता है।
फैटी लीवर का आयुर्वेदिक उपचार बताएं
फैटी लिवर का आयुर्वेदिक उपचार में हल्दी, आंवला, गिलोय और कुटकी जैसी जड़ी-बूटियों का सेवन शामिल है। ये यकृत को स्वस्थ रखने और विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करती हैं। साथ ही नियमित योग और प्राणायाम करना भी लाभकारी होता है।
फैटी लिवर के कितने स्टेज होते हैं
फैटी लिवर के चार स्टेज होते हैं: साधारण फैटी लिवर (स्टेटोसिस), नॉन-अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (NASH), फाइब्रोसिस, और सिरोसिस। पहले स्टेज में लिवर में वसा जमा होती है। दूसरे में सूजन होती है। तीसरे में ऊतकों में घाव बनते हैं। चौथे में लिवर कठोर हो जाता है।
फैटी लिवर में चाय पीना चाहिए
फैटी लिवर में चाय पीना सुरक्षित है, लेकिन बिना चीनी और दूध के। हरी चाय विशेष रूप से फायदेमंद हो सकती है क्योंकि इसमें एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो लिवर के लिए अच्छे होते हैं। कैफीन की मात्रा सीमित रखें और संतुलित आहार पर ध्यान दें।
फैटी लिवर में कौन सा फल खाना चाहिए
फैटी लिवर में सेब, अंगूर और बेरी जैसे फल खाना चाहिए। ये फल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, जो लीवर की सूजन कम करने और उसे स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा, ये फाइबर और विटामिन्स से भी भरपूर होते हैं, जो लीवर के कार्य को सुधारते हैं।
फैटी लीवर को कैसे ठीक करें
फैटी लीवर ठीक करने के लिए स्वस्थ आहार लें, नियमित व्यायाम करें, वजन घटाएं, शराब से बचें। हरी सब्जियाँ, फल, साबुत अनाज और कम वसा वाले प्रोटीन का सेवन करें।
अंतिम संदेश
fatty liver ayurvedic treatment in hindi के इस आर्टिकल में आपने जाना फैटी लीवर क्या होता है? फैटी लिवर के लक्षण तथा लिवर फैटी होने के कारण, फैटी लिवर का आयुर्वेदिक उपचार, फैटी लिवर से बचने के उपाय, फैटी लिवर के लिए आहार, फैटी लीवर में परहेज तथा फैटी लिवर के नुकसान आदि के बारे में विस्तार से जाना। अगर आप प्राकृतिक चिकित्सया की जानकारी पाने के लिए इच्छुक हैं तो आप हमारे ब्लॉग को subscribe करना न भूलें। fatty liver ayurvedic treatment in hindi के इस लेख को पूरा पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद!