तालमखाना के 14 बेहतरीन फायदे | Benefits of talmakhana in hindi

Benefits of talmakhana in hindi के इस लेख में तालमखाना क्या होता है, तालमखाना के गुण और तालमखाना के फायदे, तालमखाना के उपयोग तथा तालमखाना के नुकसान को जानेंगे। इसके अलावा तालमखाना के विभिन्न नाम और तालमखाना के आयुर्वेदिक उपयोग आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

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4 तालमखाना के फायदे – Benefits of talmakhana in hindi

तालमखाना क्या होता है – Talmakhana in hindi

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तालमखाना का परिचय: यह एक पारंपरिक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। तालमखाना छोटी तथा घनी डालियों वाली पौधा है। बीज काले रंग का होते हैं तथा पानी के संपर्क में आने से फूल जाते हैं जिससे यह चिपचिपा हो जाता है। इसमें फूल और फल सितंबर से लेकर नवंबर के बीच में दिखाई देते हैं।

तालमखाना का पहचान: इसकी पौधा एक मीटर तक लंबा बढ़ सकता है। मुख्य रूप से यह झाड़ीदार तथा गीली जमीन में लता की तरह भी फैल सकता है। इसकी डालियाँ कांटेदार होती हैं तथा पत्ते 3-4 इंच लम्बे होते हैं। इनके फूल नीले रंग के मनोहर होता है। इसका फल गोल काँटेदार होता है।

तालमखाना का वैज्ञानिक नाम (talmakhana scientific name in hindi) : Hygrophila auriculata (हाइग्रोफिला ऑरीकुलाटा)

तालमखाना कुल का नाम (talmakhana family name in hindi) : Acanthaceae (ऐकेन्थेसी)

तालमखाना कहाँ पाया जाता है: तालमखाना ज्यादातर नमी वाले जगहों में, तालाब के किनारे, दलदली भूमि, खेतों में आसानी से पाया जाता है। भारत में यह लगभग सभी राज्यों में मिल सकता है। यह उष्णकटिबंधीय हिमालय में भी पाया जा सकता है। तालमखाना भारत के अलावा नेपाल, श्रीलंका, मलेशिया, म्यांमार आदि जैसे देशों में भी आसानी से पाया जा सकता है।

तालमखाना के अन्य नाम – Talmakhana other names in hindi

तालमखाना को अनेक भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है:

  • हिन्दी (तालमखाना hindi name) – तालमखाना
  • अंग्रेजी (talmakhana english name) – Marsh barbel
  • संस्कृत – कोकिलाक्ष
  • बंगाली – कुलियाखारा
  • उर्दू – तालिमखाना
  • तमिल – निरमुल्ली
  • तेलुगू – कोकिलाक्षी
  • पंजाबी – तालमखाना
  • गुजराती – एखरो
  • मराठी – तालीमखाना
  • कन्नड़ – बलिकेल
  • नेपाली – तालमखाना
  • अरबी – अफकीत
  • लेटिन – Hygrophila Spinosa, Asteracantha Longifolia

तालमखाना के गुण व उपयोग – Talmakhana uses in hindi

तालमखाना के कई गुण है जिसका उपयोग निम्नलिखित स्वास्थ्य विकारों में समाधान के रूप में किया जा सकता है:

  • तालमखाना के बीज कड़वे, कसेले, मधुर, ठंडे तासीर, भारी, अम्लिय गुण वाला, फिसलने वाले होते हैं।
  • इसका उपयोग यौन संबंधी विकारों के लिए, पुरूषों के काम शक्ति बढ़ाने और यौन उत्तेजना के लिए तथा स्पर्म काउन्ट या शुक्राणु की संख्या को बढ़ाने में, शारीरिक कमजोरी दूर करने वाले तथा गर्भ को पोषण प्रदान करने में उपयोग होते हैं।
  • तालमखाना पत्ते मधुर, कड़‍वे स्वाद के होते हैं जिसके कारण इसका उपयोग शोफ, बलकारक, खाने में रुचि बढ़ाने वाला, वात-पित्त-कफ नियंत्रण करने में सहायक होते हैं।
  • तालमखाना कई प्रकार के दर्द में, विष हरण, खाने की इच्छा को बढ़ाना, पेट संबंधी रोग, पीलिया रोग, मूत्ररोग तथा कब्ज नाशक होते हैं।
  • इसका जड़ शीतल होती है तथा इसका उपयोग दर्दनिवारक या दर्द कम करने वाला, मूत्रल तथा बलवर्धक होती है।
  • तालमखाना पञ्चाङ्ग का उपयोग पेट संबंधी रोग, पेट फूलना, मूत्र का रुकना, सूजन, शोफ, पीलिया में, पाइल्स, प्यास, पित्त संबंधी समस्या, विष हरण के रूप में कार्य करता है। इसे गठिया में, दर्द में, जलन, आमवात, आँखों के लिए मधुमेह नियंत्रण के लिए तथा रक्तदोष को नियंत्रण करने में उपयोग में लाया जाता है।

तालमखाना के फायदे – Benefits of talmakhana in hindi

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तालमखाना के गुण व उपयोग (Talmakhana uses in hindi) जानने के बाद अब हम जानेंगे Benefits of talmakhana in hindi यानी तालमखाना के फायदे के बारे में, तालमखाना के अनेक फायदे हैं लेकिन यहाँ पर हम कुछ महत्वपूर्ण फ़ायदों को ही जानेंगे :

नपुंसकता में तालमखाना के फायदे – Talmakhana benefits for sexual diseases in hindi

पुरुषों के यौन शक्ति में वृद्धि तथा थकान कम करने के लिए तालमखाने के बीज के पाउडर में 2-3 ग्राम की मात्रा में एक कप गरम दूध के साथ सेवन करें। यह तरीका वही लोग आजमाएं जिनका पाचन शक्ति मजबूत हों। चूर्ण तैयार करने के लिए तालमखाने के बीज, कोंच के बीज, गोखरू, शतावरी, लौंग, इलायची, केशर, पिस्ता, बादाम, बलवीज, कालीमुसली, चोबचीनी, खसखस, जायफल, जावित्री, तज, सालमपंजा, चिरोंजी, और गिलोय का सत्व मिलाएं। इस चूर्ण को 1-2 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार घी और शक्कर के साथ खाएं। इसके बाद, गाय के गरम दूध का सेवन करें। यह चूर्ण कामशक्ति वर्धक है और नपुंसकता को दूर करने में मदद करता है।

शुक्राणु बढ़ाने में तालमखाना के फायदे – Talmakhana benefits for increase sperm in hindi

आजकल की जीवनशैली और खानपान सेक्स लाइफ पर बुरा असर डाल रहे हैं, जिससे सेक्स संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। तालमखाना बीज का सेवन करने से इसका समाधान किया जा सकता है।

  • इसके लिए तालमखाना बीज, सफेद मूसली और गोखरू मिलाकर चूर्ण तैयार करें। फिर, इस चूर्ण को 2-4 ग्राम की मात्रा में धारोष्ण दूध के साथ सेवन करें।
  • इसके अलावा, आप 5 ग्राम तालमखाना बीज चूर्ण, 5 ग्राम क्रौंच बीज चूर्ण, और 10 ग्राम शर्करा को मिला कर और 2-4 ग्राम चूर्ण को धारोष्ण दूध के साथ पी सकते हैं।
  • 1 बड़ा चम्मच तालमखाना बीज या उसका पाउडर 300 मिलीलीटर गर्म पानी में मिलाकर थोड़ी देर के लिए इसको ऐसे ही छोड़ दें। इसे अच्छी तरह मिलाने के बाद छान लें। अब इसमें एक चम्मच मिश्री पाउडर मिलाकर सेवन करें। इसका उपयोग शुक्राणुओं कमी में एक महत्वपूर्ण उपाय हो सकता है। इसका निर्धारित मात्रा में सेवन करने से कामोत्तेजना वृद्धि होती है।

योनि विकार में तालमखाना के फायदे – Talmakhana Benefits for loose vagina in hindi

जब किसी बीमारी या अन्य कारणों से योनि लूज (लूज़ वैजाइना) हो जाती है, तो तालमखाने का उपयोग योनि को फिर से मजबूत बनाने में मददगार हो सकता है। तालमखाने के बीज को चूर्ण में बनाकर योनि पर लगाने से योनि संबंधित समस्याओं, जैसे कि योनि शैथिल्य, का उपचार किया जा सकता है।

पथरी में तालमखाना के फायदे – Talmakhana Benefits for stones in hindi

तालमखाना में मूत्रल के गुण होते हैं। इन गुणों के कारण, यह मूत्र की मात्रा बढ़ाकर मूत्रमार्ग से पथरी तथा अन्य कई प्रकार के मूत्र विकारों को दूर करने में मदद करता है। गोखरू, तालमखाना और एरण्डी की जड़ को दूध में मिलाकर पीने से मूत्र के संबंधित समस्याएं जैसे कि मूत्रकृच्छु, मूत्राघात और पथरी को दूर करने में मदद करता है। लीवर, पित्ताशय की पथरी और मूत्र पथरी के लिए तालमखाना के पौधे को जलाकर राख तैयार करें। अब लगभग, एक कप पानी में 2-3 ग्राम राख का घोल तैयार करें। इसे छान लेने के बाद दिन में दो से तीन बार इसका सेवन करें।

कुष्ठ रोग में तालमखाना के फायदे – Talmakhana Benefits for leprosy in hindi

कुष्ठ रोग के मामले में प्रायः पित्त दोष के अधिक प्रकुपित होने के कारण यह बीमारी हो सकती है। तालमखाना में पाए जाने वाले पित्त शामक गुण इस बीमारी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। तालमखाना के पौधे का रस पीने और इनके साग का सेवन करने से वातरक्त नामक कुष्ठ रोग को दूर किया जा सकता है।

दस्त में तालमखाना के फायदे – Talmakhana Benefits for Diarrhea in hindi

दस्त होने पर तालमखाने का सेवन करने से दस्त की समस्या में फायदा मिलता है। आयुर्वेद के अनुसार है यह दस्त के दौरान तालमखाने के बीज के चूर्ण को दही के साथ खाने से दस्त की समस्या में राहत मिलती है।

अनिद्रा में तालमखाने के फायदे – Talmakhana Benefits for insomnia in hindi

आजकल की तनावपूर्ण और व्यस्त जीवनशैली ने अनिद्रा को बढ़ा दिया है, लेकिन तालमखाना का सेवन अनिद्रा की समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है। तालमखाना, काकजंघा, अपामार्ग और सुपर्णिका के काढ़े को तैयार करके, 10-20 मिली की मात्रा में पीने से अनिद्रा को कम किया जा सकता है। इसकी जड़ों को उबालकर पीने से, गहरी नींद को फिर से पाने में मदद मिलती है।

जलोदर में तालमखाना के फायदे – Benefits of Talmakhana in ascites in hindi

पेट में जल या प्रोटीन द्रव्य के अधिक हो जाने के कारण पेट में फूलाव और दर्द की समस्या हो सकती है। ऐसे समय में तालमखाना बहुत उपयोगी होता है। तालमखाना की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली की मात्रा में पीने से जलोदर में लाभ हो सकता है। इस काढ़े को पीने से सूजन, मूत्रकृच्छ्र या मूत्र संबंधी समस्याएं, अश्मरी या पथरी, गोनोरिया, मूत्राशय और लीवर संबंधित बीमारियों में लाभदायक हो सकता है।

गठिया में तालमखाना के फायदे – Talmakhna benefits for arthritis in hindi

जोड़ों के दर्द यानी गठिया के दर्द को कम करने के लिए तालमखाना का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। बढ़ती आयु के साथ अकसर जोड़ों में दर्द होता है, लेकिन तालमखाने की मदद से इस दर्द को कम किया जा सकता है।

  • तालमखाना और गुडूची को समान मात्रा में लेकर उसका काढ़ा बनाकर, 10-20 मिली काढ़े में 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण मिलाकर सेवन करने से जल्द आराम मिलता है।
  • इसके अलावा, 5-10 मिली तालमखाना के रस का या तालमखाना के साग का सेवन करने से वातरक्त या गाउट में भी लाभ हो सकता है।
  • तालमखाना के पौधे का पाउडर बना लें। इस पाउडर से काढ़ा तैयार करें। इसके लिए 1 बड़ा चम्मच पाउडर को 2 कप पानी में मिलाकर उबालें, जब यह 1 कप रह जाय तब इसे छान लें। इस काढ़े को कैशोरा गुग्गुलु, गोक्षुरादि गुग्गुलु जैसी उपयुक्त दवाओं के साथ सुबह-शाम 30-40 ml की मात्रा में सेवन करें।

सूजन में तालमखाना के फायदे – Talmakhna benefits for inflammation in hindi

आंवला का इस्तेमाल सूजन में लाभदायक हो सकता है। तालमखाना जोड़ों के दर्द और पैडल एडिमा (पैरों की सूजन) में विशेष रूप से पुरानी स्थितियों में महत्वपूर्ण लाभ होता है। इसके लिए तालमखाना की जड़ों से बनाया गया गुनगुना काढ़ा, दिन में दो बार 20-30 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करें।

रक्त दोष में तालमखाना के फायदे – Talmakhna benefits for blood detoxification in hindi

खून साफ करने में तालमखाना लाभदायक साबित हो सकती है। तालमखाना का गुण रक्त दोष से परेशान व्यक्तियों के लिए फायदेमंद हो सकता है। रक्त संबंधी बीमारियों से निजात पाने के लिए आप 1-2 ग्राम तालमखाना के बीज के चूर्ण का सेवन पानी के साथ सुबह-शाम करें।

खांसी में तालमखाना के फायदे – Talmakhna benefits for cough in hindi

खांसी में तालमखाना एक प्राकृतिक उपाय हो सकता है। कुछ लोग अक्सर मौसम बदलने के कारण खांसी का शिकार हो जाते हैं तो इससे निजात पाने के लिए यह नुस्खा आजमाया जा सकता है। इसके लिए तालमखाने के पत्तों का चूर्ण 1-2 ग्राम मात्रा में शहद मिलाकर सेवन करें।

पीलिया में तालमखाना के फायदे – Talmakhna benefits for jaundice in hindi

तालमखाना को पीलिया में एक प्रभावी आयुर्वेदिक उपचार माना जाता है। अगर आपको पीलिया हो गया है, तो तालमखाने का सेवन इस तरीके से करें। तालमखाने के पत्तों का काढ़ा तैयार करके, 15-20 मिलीलीटर मात्रा में पीने से पीलिया, एनीमिया, जलोदर और मूत्रदाह के लिए लाभकारी हो सकता है।

कमर दर्द में तालमखाना के फायदे – Talmakhna benefits for arthritis in hindi

आजकल, अर्थराइटिस या जोड़ों के दर्द की समस्या सिर्फ उम्र के कारण ही नहीं होती है। यदि आप दिनभर बैठकर काम करते हैं। आपकी बैठने और खड़े होने की आदत सही नहीं है या फिर किसी और बीमारी के कारण कमर में दर्द से परेशान हैं, तो इससे राहत पाने के लिए तालमखाने का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए तालमखाने के पञ्चाङ्ग को पीसकर बनाया गया लेप दर्द के स्थान पर लगाने से दर्द कम हो जाती है।

तालमखाना के उपयोगी भाग – Useful parts of talmakhana in hindi

तालमखाना के निम्नलिखित भाग का उपयोग किया जाता है:

  • तालमखाना के पत्ते
  • जड़
  • बीज और
  • पंचांग

तालमखाना किस रूप में उपलब्ध है

तालमखाना मार्केट में कई रूप में उपलब्ध हैं:

  • टैबलेट
  • कैप्सूल
  • पाउडर
  • बीज
  • बीज का तेल

तालमखाना पोषक तत्व की मात्राएं – Talmakhana ingredients in hindi

ताजा तालमखाने की पत्तियों के रस में पोषक तत्व की मात्राएं:

पोषक तत्वसामग्री (प्रति 100 ग्राम)
ऊर्जा 58.80 कैलोरी
कार्बोहाइड्रेट 12.2 ग्राम
कैल्शियम27.93 मिग्रा
आयरन 7.03 मिग्रा
वसा 0.13 ग्राम
प्रोटीन 4.69 ग्राम
फाइबर 1.80 ग्राम
सोडियम 56.1 मिलीग्राम
पोटैशियम266 मिलीग्राम
कॉपर 4.87 मिलीग्राम
विटामिन सी 50.08 मिलीग्राम
कुल राख 1.93 ग्राम
नमी 83.37 ग्राम
तालमखाना के ताजे पत्तियों में पोषक तत्वों की मात्राएं

तालमखाना के अन्य दवाईयों के साथ प्रतिक्रियाएं – Talmakhana interaction in hindi

  • यह रक्तचाप कम करने वाली दवाओं के साथ प्रतिक्रिया कर सकती हैं क्योंकि तालमखाना में रक्तचाप को कम करने वाले गुण मौजूद हैं।
  • तालमखाना मधुमेह की दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकती है क्योंकि यह ब्लड शुगर को बहुत ज्यादा कम कर सकता है।
  • तालमखाना कुछ एलोपैथी दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकती हैं इसलिए दोनों को साथ में लेने से पहले संबंधित चिकित्सक से सलाह लें।
  • तालमखाना की होम्योपैथी या अन्य आयुर्वेदिक दवाइयों के साथ तालमेल बैठाने के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। ताकि इनके संभावित प्रतिक्रिया से जागरूक हो सकें।

तालमखाना के नुकसान – Talmakhana side effects in hindi

तालमखाने के कुछ सामान्य दुष्प्रभाव इस प्रकार से हैं:

  • वैज्ञानिकों के रिसर्च के आधार पर तालमखाना के इस्तेमाल से कुछ लोगों को एलर्जी हो सकती है। जैसे- घरघराहट, नमें नाक बहना, चकत्ते जैसी दुष्प्रभाव हो सकती हैं।
  • इसके निर्धारित मात्रा से अधिक सेवन से पेट भारी, दस्त जैसे समस्या हो सकती है। इसलिए उचित मात्रा में इसका सेवन करें।

FAQ – Benefits of talmakhana in hindi

तालमखाना की तासीर कैसी होती है?

तालमखाना का तासीर ठंडी होती है। इसके उपयोग से वात, पित्त और कफ का दोष कम होता है।

तालमखाना क्या होता है?

यह एक पारंपरिक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। तालमखाना छोटी तथा घनी डालियों वाली पौधा है। बीज काले रंग का होते हैं तथा पानी के संपर्क में आने से फूल जाते हैं जिससे यह चिपचिपा हो जाता है। इसमें फूल और फल सितंबर से लेकर नवंबर के बीच में दिखाई देते हैं।

तालमखाना खाने के क्या नुकसान है?

वैज्ञानिकों के रिसर्च के आधार पर तालमखाना के इस्तेमाल से कुछ लोगों को एलर्जी हो सकती है। जैसे- घरघराहट, नमें नाक बहना, चकत्ते जैसी दुष्प्रभाव हो सकती हैं। इसके निर्धारित मात्रा से अधिक सेवन से पेट भारी, दस्त जैसे समस्या हो सकती है। इसलिए उचित मात्रा में इसका सेवन करें।

तालमखाना के कौन-कौन से भाग उपयोग में लाया जाता है?

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के रूप में तालमखाना का निम्नलिखित भाग को उपयोग में लाया जाता है । पत्ते, जड़, बीज, इनके पंचांग आदि का दवाई के रूप में इस्तेमाल होता है।

तालमखाना किस रूप में उपलब्ध है?

तालमखाना का प्रोडक्ट ऑनलाइन मार्केट में निम्नलिखित रूप में उपलब्ध है: टैबलेट, कैप्सूल, पाउडर, बीज, बीज का तेल इसके अलावा जूस आदि भी मिलता है।

तालमखाना का उपयोग कितनी मात्रा में करें?

तालमखाना के उपयोग की निश्चित मात्रा नहीं है इसे बीमारी के आधार पर अलग-अलग मात्रा में लेने की सलाह दी जाती है। परंतु इसकी सामान्यतः मात्रा 2-3 ग्राम जड़ का चूर्ण निर्धारित की गई है तथा इसकी काढ़ा 20 मिलीलीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।

तालमखाना का सेवन कैसे करें?

तालमखाने के उपयोग विभिन्न तरीकों से कर सकते हैं। इसकी आवश्यकता के हिसाब से इस्तेमाल किया जाता है। तालमखाने के जड़ और ताजे पत्तों का काढ़ा बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। जड़ के चूर्ण का इस्तेमाल कई रोगों में अन्य दवाओं के साथ मिलाकर सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसका टैबलेट तथा कैप्सूल का उपयोग भी कर सकते हैं जो उपयोग में आसानी है।

तालमखाना में कौन-कौन से पोषक तत्व पाया जाता है?

तालमखाने के ताजे पत्तियों में निम्नलिखित पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम की मात्रा में पाया जाता है:
कार्बोहाइड्रेट- 12.2 ग्राम, कैल्शियम- 27.93 मिलीग्राम, आयरन- 7.03 मिलीग्राम, प्रोटीन- 4.69 ग्राम, वसा- 0.13 ग्राम, फाइबर- 1.80 ग्राम, कॉपर- 4.87 मिलीग्राम, विटामिन सी- 50.08 मिलीग्राम, सोडियम- 56.1 मिलीग्राम, पोटैशियम- 266 मिलीग्राम, कुल राख- 1.93 ग्राम। इसके अलावा जस्ता, निकल, क्रोमियम आदि की मात्रा पाया जाता है।

तालमखाना कहाँ होता है?

तालमखाना ज्यादातर नमी वाले जगहों में, तालाब के किनारे, दलदल भूमि में, खेतों में आसानी से पाया जाता है। भारत में यह लगभग सभी राज्यों में मिल सकता है। यह उष्णकटिबंधीय हिमालय में भी पाया जा सकता है। तालमखाना भारत के अलावा नेपाल, श्रीलंका, मलेशिया, म्यांमार आदि जैसे देशों में भी आसानी से पाया जा सकता है।

तालमखाना का सेवन कब नहीं करना चाहिए?

तालमखाना का सेवन इन स्तिथियों नहीं करना चाहिए, इसका सेवन निम्न रक्तचाप वाले लोग न करें। जिन लोगों का (low blood sugar level) रक्त शर्करा स्तर कम रहता है उन लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

अंतिम संदेश

Benefits of talmakhana in hindi के इस लेख में आपने जाना तालमखाना क्या होता है? तालमखाना के गुण, तालमखाना के फायदे, तालमखाना के उपयोग तथा इनके सेवन के संभावित नुकसान क्या-क्या हैं? इस लेख में तालमखाना से संबंधित बेहतर जानकारी देने की कोशिश की गई है, आशा है आपको पसंद आ गए होंगे। Benefits of talmakhana in hindi के इस लेख को पूरा पढ़ने के लिए आपका, धन्यवाद!

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नमस्कार दोस्तों, मैं इंडिया के सबसे बड़े लौहनगरी जमशेदपुर, झारखंड से हूँ। मैं इस ब्लॉग का लेखक और संस्थापक हूँ और इस ब्लॉग पर प्राकृतिक आयुर्वेदिक स्वास्थ्य, जड़ी-बूटियों की जानकारी, प्राकृतिक उपचार, घरेलू उपचार से संबंधित जानकारी नियमित साझा करता रहता हूँ।

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