jaundice ayurvedic treatment in hindi के इस आर्टिकल में जानिए पीलिया क्या है? साथ ही पीलिया होने के लक्षण तथा पीलिया होने के कारण, पीलिया का आयुर्वेदिक इलाज और पीलिया का आयुर्वेदिक दवा, साथ ही पीलिया से बचाव के उपाय, जॉन्डिस में परहेज, पीलिया के नुकसान आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
पीलिया क्या होता है – jaundice in hindi

आयुर्वेद में पीलिया को पित्त दोष के रूप में जाना जाता है और इसे कामला (jaundice in hindi) कहा जाता है। यह शरीर में पित्त (बिलीरुबिन) के अधिक मात्रा में जमा होने के कारण होता है। जब शरीर में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ जाता है, तो त्वचा और आँखें पीली दिखाई देने लगती हैं। हीमोग्लोबिन, जो लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन ले जाने का काम करता है, टूटकर बिलीरुबिन बनाता है। पुरानी और क्षतिग्रस्त लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से बिलीरुबिन बनता है।
बिलीरुबिन यकृत (लिवर) में जाता है, जहां यह पित्त के साथ मिलकर पाचन तंत्र में पहुँचता है। इसके बाद यह पित्त नलिकाओं के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है, जो शरीर के लिए आवश्यक है। बिलीरुबिन की ज्यादातर मात्रा मल के साथ बाहर निकल जाता है, लेकिन थोड़ी मात्रा मूत्र में भी निकलती है। अगर यह लीवर और पित्त नली के रास्ते शरीर से बाहर नहीं निकल पाता तो यह खून में जमा हो जाता है और त्वचा में भी जम जाता है, जिससे पीलिया हो जाता है।
पीलिया के प्रकार – types of jaundice in hindi
पीलिया तीन प्रकार के होते हैं:
- पूर्व यकृत (हेपेटिक) पीलिया: जब लाल रक्त कोशिकाएं बहुत तेजी से टूटती हैं और लीवर उन्हें ठीक से नहीं नष्ट कर पाता, तो यह प्रकार का पीलिया होता है।
- यकृत (हेपेटिक) पीलिया: जब लीवर खुद ठीक से काम नहीं कर पाता, जैसे कि हेपेटाइटिस या सिरोसिस के कारण, तो यह प्रकार का पीलिया होता है।
- पश्च यकृत (पोस्ट-हेपेटिक) पीलिया: जब पित्त नली में रुकावट होती है, जैसे कि पित्त की पथरी या ट्यूमर के कारण, तो यह प्रकार का पीलिया होता है।
पीलिया होने के लक्षण – jaundice reason in hindi
पीलिया या जॉन्डिस होने पर निम्नलिखित लक्षण देखने को मिल सकता है:
- आंखों के सफेद हिस्सों का पीला होना
- भूख न लगना
- खाने की इच्छा कम होना
- जीभ, त्वचा और मूत्र का पीला पड़ना
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द
- अत्यधिक थकान व कमजोरी महसूस होना
- हल्का बुखार आना
- कब्ज की समस्या
- कामेच्छा में कमी आना
- मतली महसूस होना
- वजन का घटना
- चिड़चिड़ापन
- भ्रम
- उल्टी आना
- खुजली होना
- पीला मल या दस्त
- ठंड लगना
पीलिया होने के कारण – jaundice reasons in hindi
पीलिया तब होता है जब बिलीरुबिन शरीर से बाहर नहीं निकल पाता और खून और त्वचा में जमा हो जाता है। पीलिया होने के 10 कारण:
- दूषित पानी का सेवन
- हेपेटाइटिस: लीवर में सूजन होना।
- लीवर सिरोसिस: लीवर का खराब हो जाना।
- पित्त नली में रुकावट: पित्त का सही से बाहर न निकल पाना।
- पित्त पथरी: पित्त नली में पत्थर बनना।
- पैंक्रिएटिक कैंसर: अग्न्याशय में कैंसर होना।
- शराब का अधिक सेवन: लीवर को नुकसान पहुंचाना।
- दवाओं का साइड इफेक्ट: कुछ दवाओं का असर।
- लिवर इन्फेक्शन: लीवर में संक्रमण होना।
- खून की बीमारियाँ: जैसे सिकल सेल एनीमिया या थैलेसीमिया।
पीलिया का आयुर्वेदिक इलाज – jaundice ayurvedic treatment in hindi

पीलिया का आयुर्वेदिक इलाज या jaundice ayurvedic treatment in hindi के लिए कई जड़ी-बूटी और आयुर्वेदिक दवाई है जो पीलिया के लक्षणों को कम कर इससे निजात पा सकते हैं जो इस प्रकार है:
पीलिया में एलोवेरा के फायदे
पीलिया में एलोवेरा के फायदे हो सकते हैं। एलोवेरा लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है साथ ही यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मददगार होता है। एलोवेरा का जूस दिन में एक बार, लगभग 20-30 मिलीलीटर लिया जा सकता है। इसे खाली पेट या भोजन से पहले लेना अधिक लाभदायक हो सकता है। नियमित सेवन से लीवर की कार्यक्षमता में सुधार हो सकता है और पीलिया के लक्षणों में राहत मिल सकती है।
पीलिया में भूमि आंवला के फायदे
पीलिया में भूमिआंवला फायदेमंद हो सकता है। भूमि आंवला या भूम्यामालाकी (फाइलेंथस निरुरी) एक छोटी सी जड़ी बूटी है जिसके बहुत सारे पत्ते होते हैं। इसका उपयोग आमतौर पर पीलिया के इलाज में किया जाता है। इस पौधे के रस या ताजी जड़ एक चम्मच पेस्ट बनाकर, शहद के साथ मिलाकर, दिन में तीन बार सेवन किया जा सकता है।
पीलिया में कालमेघ के फायदे
पीलिया में कालमेघ के फायदेमंद होता है। कालमेघ को भुईनिम्ब या चिरायता भी कहा जाता है। यह लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है और पाचन तंत्र को सुधारता है, जिससे बिलीरुबिन को बाहर निकालने में सहायता मिलती है। कालमेघ का काढ़ा या चूर्ण आमतौर पर उपयोग किया जाता है। काढ़ा बनाने के लिए, 1-2 चम्मच कालमेघ पाउडर को एक कप पानी में उबालें और दिन में 2-3 बार पिएं। चूर्ण के रूप में, 1-2 ग्राम चूर्ण को दिन में दो बार पानी के साथ लिया जा सकता है।
पीलिया में कुटकी के फायदे
कुटकी एक जड़ी-बूटी है जो पीलिया में लाभकारी मानी जाती है। यह लीवर को मजबूत बनाने में मदद करती है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में सहायता करती है, जिससे बिलीरुबिन का स्तर कम होता है। कुटकी का सेवन पाउडर या कैप्सूल के रूप में किया जा सकता है। आमतौर पर, इसका पाउडर 1-2 ग्राम दिन में दो बार लिया जाता है, या चिकित्सक की सलाह के अनुसार सेवन किया जा सकता है। इसे पानी या शहद के साथ मिलाकर लिया जा सकता है।
पीलिया में मुनक्का के फायदे
पीलिया में मुनक्का खाने से बहुत लाभ हो सकता है। मुनक्का यकृत (लिवर) को मजबूत बनाता है और इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं, जिससे लिवर का स्वास्थ्य बेहतर होता है। इसमें प्राकृतिक शर्करा होती है जो शरीर को ऊर्जा देती है और कमजोरी को दूर करती है। मुनक्का का सेवन करने के लिए आप रोजाना 5-7 मुनक्कों को रात भर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट खा सकते हैं। इसे नियमित रूप से खाने से पीलिया के लक्षणों में सुधार हो सकता है और लिवर की कार्यक्षमता बढ़ती है।
पीलिया में गिलोय के फायदे
पीलिया में गिलोय फायदेमंद होता है। गिलोय लीवर की कार्यक्षमता को सुधारने में मदद करती है, इससे पीलिया से राहत मिल सकती है। गिलोय शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालकर इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है। गिलोय का सेवन पीलिया के इलाज में प्रभावी पाया गया है। सेवन की मात्रा और तरीका इस प्रकार है: गिलोय की ताजा डंडी या पत्तियों का रस निकालकर दिन में दो बार, लगभग 10-15 मिलीलीटर लिया जा सकता है। इसके अलावा, गिलोय के पाउडर को 1-2 ग्राम की मात्रा में, गुनगुने पानी या शहद के साथ दिन में दो बार लिया जा सकता है।
पीलिया का आयुर्वेदिक दवा – jaundice ayurvedic medicine in hindi
पीलिया में पुनर्नवा मंडूर एक आयुर्वेदिक दवा है जो लीवर को ठीक करने और खून की गुणवत्ता सुधारने में मदद करती है। इसे पीलिया के लक्षणों को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है। पुनर्नवा मंडूर में पुनर्नवा, मंडूर भस्म, त्रिफला, त्रिकटु और अन्य जड़ी-बूटियाँ होती हैं जो लीवर की कार्यक्षमता को बढ़ाती हैं और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती हैं।
इसका सेवन करने के लिए, वयस्कों को दिन में दो बार भोजन के बाद, 1-2 गोलियाँ गुनगुने पानी या दूध के साथ सेवन करें। सेवन की मात्रा और तरीका व्यक्ति की शारीरिक स्थिति और चिकित्सक की सलाह पर निर्भर करता है।
पीलिया में आरोग्यवर्धनी वटी के फायदे
आरोग्यवर्धनी वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो पीलिया के इलाज में सहायक होती है। यह वटी लीवर को स्वस्थ रखने और उसके कार्य में सुधार करने में मदद करती है। पीलिया के दौरान, यह दवा शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने और लीवर की सूजन को कम करने में प्रभावी होती है। इसे आमतौर पर दिन में दो बार, एक-एक गोली, खाने के बाद गुनगुने पानी के साथ लिया जाता है। सेवन की मात्रा और अवधि के बारे में अधिक जानकारी और सही परामर्श के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है।
पीलिया में फलत्रिकादि क्वाथ के फायदे
पीलिया के उपचार के लिए फलत्रिकादि क्वाथ एक उपयोगी आयुर्वेदिक उपाय है। यह काढ़ा फलत्रिकादि जड़ी-बूटियों से तैयार होता है, जिसमें त्रिकटु (सोंठ, मरीच, और पिप्पली) मुख्य घटक होते हैं। यह यकृत को मजबूत करता है और पाचन क्रिया को सुधारता है, जिससे पीलिया के लक्षणों में राहत मिलती है। सेवन की मात्रा के लिए, एक कप पानी में 10 ग्राम फलत्रिकादि क्वाथ मिलाकर इसे तब तक उबालें जब तक पानी आधा न रह जाए। इस तैयार काढ़े को दिन में दो बार, सुबह और शाम, भोजन के बाद लें। इसे चिकित्सक की सलाह के अनुसार नियमित रूप से लेने से पीलिया में फायदा होता है।
पीलिया में वासगुडुचयादी क्वाथ के फायदे
पीलिया में वासगुडुचयादी क्वाथ का उपयोग फायदेमंद होता है। वासगुडुचयादी क्वाथ एक आयुर्वेदिक काढ़ा है, जो वासा, गुडुची, और अन्य जड़ी-बूटियों से बनाया जाता है। यह काढ़ा यकृत को स्वस्थ रखने, पाचन में सुधार करने और शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे पीलिया के लक्षणों में राहत मिलती है।
इसे बनाने के लिए, लगभग 10 ग्राम वासगुडुचयादी क्वाथ पाउडर को 200 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब तक कि यह 50 मिलीलीटर तक न रह जाए। फिर इसे छानकर सुबह और शाम, दिन में दो बार खाली पेट सेवन करें। अगर आप पहले से किसी दवा का सेवन कर रहे हैं, तो इसे लेने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
पीलिया में कुमार्यासव के फायदे
पीलिया एक आम बीमारी है जिसमें शरीर की त्वचा और आंखों का रंग पीला हो जाता है। इस बीमारी में आयुर्वेदिक दवा कुमार्यासव का उपयोग लाभदायक हो सकता है। कुमार्यासव एक तरल औषधि है जो पाचन में सुधार करता है और जिगर को स्वस्थ बनाता है। इसे आमतौर पर खाने के बाद 15-30 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में दो बार लिया जाता है। बच्चों के लिए यह मात्रा कम हो सकती है, इसलिए डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। कुमार्यासव को बराबर मात्रा में पानी मिलाकर लेना चाहिए। नियमित सेवन से पीलिया के लक्षणों में कमी आ सकती है और रोगी की सेहत में सुधार हो सकता है।
पीलिया में लोहासव के फायदे
पीलिया (जॉन्डिस) में लोहासव एक आयुर्वेदिक दवा है जो लोहा युक्त होती है और शरीर में खून की कमी को दूर करने में मदद करती है। इसे पाचन शक्ति बढ़ाने और भूख में सुधार लाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। लोहासव का सेवन चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए।
आमतौर पर वयस्कों के लिए इसकी मात्रा 15 से 30 मिलीलीटर होती है, जिसे बराबर मात्रा में पानी मिलाकर दिन में दो बार, खाने के बाद लिया जाता है। लोहासव को नियमित रूप से लेने से पीलिया के लक्षणों में सुधार आ सकता है, लेकिन इसे लंबे समय तक उपयोग करने से पहले चिकित्सक से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
कृपया ध्यान दें:-
स्वस्थ्य जीवन शैली के लिए यह एक सामान्य जानकारी है इसे चिकित्सीय निर्देश या सलाह न समझें। आपका जीवन बहुमूल्य है, कृपया इसे व्यवहार में लाने से पहले डॉक्टर से उचित सलाह लेने की चेष्टा करें।
पीलिया से बचाव के उपाय – jaundice prevention in hindi
पीलिया से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय करें:
- साफ-सफाई का ध्यान रखें: अपने हाथों को खाने से पहले और टॉयलेट के बाद अच्छी तरह धोएं।
- साफ पानी पिएं: स्वच्छ व साफ पानी पिएं, गंदे पानी से परहेज करें।
- स्वस्थ भोजन खाएं: ताजा और साफ खाना खाएं। बाहर का खाना और कच्ची चीजें कम खाएं।
- टीकाकरण करवाएं: हेपेटाइटिस ए और बी के टीके लगवाएं।
- शराब से बचें: शराब का सेवन कम करें या न करें, क्योंकि यह लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है।
- दवाओं का सही इस्तेमाल: दवाओं का सेवन डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करें।
- व्यक्तिगत स्वच्छता: अपने व्यक्तिगत सामान जैसे टूथब्रश, रेज़र आदि का किसी के साथ साझा न करें।
जॉन्डिस में परहेज – avoid food in jaundice in hindi
पीलिया से बचने के लिए, आपको कुछ चीजों से परहेज करना चाहिए:
- तला-भुना खाना: जंक फूड, चिप्स, पकोड़े आदि।
- तेल और घी वाली चीजें: ज्यादा तेल या घी में बना खाना।
- मसालेदार भोजन: बहुत तीखा या मसालेदार खाना।
- अल्कोहल: शराब और अन्य नशीले पेय।
- भारी और वसायुक्त भोजन: मांसाहारी खाना, खासकर लाल मांस।
- डिब्बाबंद और प्रोसेस्ड फूड: पैकेट वाले और प्रोसेस किए गए खाद्य पदार्थ।
इन चीजों से बचकर, आप पीलिया से बचाव कर सकते हैं और अपने लीवर को स्वस्थ रख सकते हैं।
पीलिया के नुकसान – jaundice side effects in hindi
पीलिया के नुकसान में थकान, कमजोरी, भूख न लगना, पेट में दर्द आदि शामिल हो सकते हैं। अगर इसे समय पर इलाज न मिले तो यह लिवर की गंभीर समस्याओं, जैसे हेपेटाइटिस और सिरोसिस का कारण बन सकता है। बच्चों में पीलिया का ज्यादा असर होने से उनकी वृद्धि और विकास पर भी असर पड़ सकता है। इसके अलावा लंबे समय तक अनदेखा करने पर यह स्थायी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है।
FAQ – jaundice ayurvedic treatment in hindi
जॉन्डिस क्या है
पीलिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें त्वचा, आंखों का सफेद हिस्सा और शरीर के अन्य भाग पीले हो जाते हैं। यह तब होता है जब बिलीरुबिन नामक पदार्थ खून में जमा हो जाता है, जो सामान्य रूप से लीवर द्वारा बाहर निकाला जाता है।
जॉन्डिस कितने प्रकार के होते हैं
जॉन्डिस तीन प्रकार के होते हैं: हेपेटिक जॉन्डिस, जो लिवर की समस्या के कारण होता है; प्रे-हेपेटिक जॉन्डिस, जो लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से होता है; और पोस्ट-हेपेटिक जॉन्डिस, जो पित्त नली में रुकावट के कारण होता है।
जॉन्डिस के क्या लक्षण है
जॉन्डिस के लक्षणों में त्वचा और आंखों का पीला होना, गहरे रंग का मूत्र, हल्के रंग का मल, थकान, और पेट में दर्द शामिल हैं। कभी-कभी भूख कम लग सकती है और त्वचा में खुजली हो सकती है। ये लक्षण बिलीरुबिन के बढ़ने से होते हैं।
पीलिया में क्या क्या खाना चाहिए
पीलिया के दौरान हल्का और पौष्टिक खाना खाना चाहिए। ताजे फल, विशेष रूप से पपीता, संतरा और नींबू, लाभकारी होते हैं क्योंकि इनमें विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। उबली हुई सब्जियाँ, जैसे गाजर, चुकंदर, और पालक, भी फायदेमंद हैं। छाछ और दही जैसे हल्के डेयरी उत्पाद लीवर के लिए अच्छे होते हैं। भरपूर पानी पिएं और नारियल पानी का सेवन करें। मसालेदार, तला-भुना, और तेलीय खाना, साथ ही अल्कोहल से परहेज करें। हल्का, सुपाच्य भोजन पीलिया के इलाज में सहायक होता है।
पीलिया किसके कारण होता है
पीलिया तब होता है जब बिलीरुबिन नामक पदार्थ खून में बढ़ जाता है। यह लीवर की खराबी, पित्त नली में रुकावट या लाल रक्त कोशिकाओं के अधिक टूटने से हो सकता है, जिसके कारण त्वचा और आंखों का पीला हो जाता है।
पीलिया में क्या नहीं खाना चाहिए
पीलिया में तला-भुना और मसालेदार खाना, तेज मसाले, अधिक तेल और वसा वाले खाद्य पदार्थ नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा, मांसाहारी भोजन, फास्ट फूड, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, शराब और कैफीन से भी बचना चाहिए। इन चीजों से यकृत (लीवर) पर अधिक दबाव पड़ता है और पीलिया का इलाज धीमा हो सकता है। पीलिया के दौरान हल्का, पौष्टिक और पचने में आसान खाना ही खाना चाहिए।
नॉर्मल पीलिया कितना होना चाहिए
सामान्य रूप से, बिलीरुबिन का स्तर 1.2 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dL) से कम होना चाहिए। यदि यह स्तर इससे ज्यादा हो जाता है, तो पीलिया हो सकता है। बच्चों में यह स्तर थोड़ा अलग हो सकता है, इसलिए डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।
पीलिया में खुजली क्यों होती है
पीलिया में खुजली इसलिए होती है क्योंकि लीवर ठीक से काम नहीं कर पाता और बिलीरुबिन के साथ अन्य बाइल सॉल्ट्स खून में जमा हो जाते हैं। ये पदार्थ त्वचा में पहुंचकर जलन और खुजली पैदा करते हैं।
पीलिया को इंग्लिश में क्या कहते हैं
पीलिया को अंग्रेजी में “Jaundice” कहते हैं।
पीलिया से कौन सा अंग प्रभावित होता है
पीलिया से मुख्य रूप से लीवर प्रभावित होता है। जब लीवर ठीक से काम नहीं करता या बिलीरुबिन को सही तरीके से बाहर नहीं निकाल पाता, तो यह खून और त्वचा में जमा हो जाता है, जिससे त्वचा और आंखें पीली दिखने लगती हैं।
अंतिम संदेश
jaundice ayurvedic treatment in hindi के इस आर्टिकल में आपने जाना पीलिया क्या होता है? पीलिया होने के कारण तथा पीलिया होने के लक्षण, पीलिया का आयुर्वेदिक इलाज और पीलिया का आयुर्वेदिक दवा, साथ ही पीलिया से बचाव के उपाय, पीलिया या जॉन्डिस में परहेज, पीलिया के नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं? अगर आप इस तरह की प्राकृतिक चिकित्सया से संबंधित जानकारी पाने के लिए इंटेरेसटेड हैं तो हमारे ब्लॉग को subscribe करना न भूलें।