Pipar ke fayde के इस लेख में पीपर क्या होता है, पिपली के उपयोग, पीपर के फायदे तथा पिप्पली के नुकसान को जानेंगे। इसके अलावा पिप्पली के अन्य नाम, पीपर कितने प्रकार के होते हैं तथा पिप्पली के उपयोगी भाग के बारे में विस्तार से जानेंगे।
पीपर क्या होता है – Pipli kya hota hai

- पिप्पली (pippali in hindi) परिचय: पिप्पली एक प्रकार की लता वाली पौधा होती है जो जमीन पर रेंगती हुई बढ़ती है तथा यह झाड़ीदार पेड़ों पर भी चढ़ सकती है। पीपर को पिप्पली या पीपल भी कहा जाता है। पिप्पली अनेक औषधीय गुणों से भरा पौधा होता है। जो साधारण मसाले से लेकर कीमती आयुर्वेदिक दवाई बनाने के रूप में उपयोग किया जाता है।
- पिप्पली पहचान: इसकी गांठ जमीन के अंदर बैठती है, इन्हीं गाँठो से शाखाएं निकलती हैं जो लता का रूप लेती है। एक प्रकार से उसकी पुराने लता ही उसकी गांठ बनती है। इसके गांठ, जड़ तथा फल (pippli) जो आयुर्वेदिक दवाई के रूप में उपयोग की जाती है। इसके फल कच्चे में हरे तथा पकने पर लाल दिखाई देती है। इसकी स्वाद तीखा होता है तथा तासीर गर्म होती है। इसके पत्तियां दिल के आकार के हरे रंग के होते हैं। इसकी जड़ लकड़ी के जैसे कड़ा, भारी और शयामले रंग के होते हैं। इसे तोड़ने पर इसके अन्दर सफेद रंग दिखती है तथा यह सुगंधित होती है। पिप्पली फूल और फल देने का मौसम सितम्बर से दिसंबर तक हो सकता है।
- पिप्पली किस कूल या परिवार का है: Piperaceae (पिपेरेसी)
- पीपर वैज्ञानिक नाम क्या है: Piper Longum (पीपर लँगम)
- पीपर कितने प्रकार के होते हैं: पिप्पली चार प्रजातियों की होती हैं लेकिन आयुर्वेदिक में दवाई के रूप में केवल दो का उपयोग किया जाता है। छोटी पिप्पली और बड़ी पिप्पली, दोनों की गुण समान ही है पर कुछ स्तिथियों में इसे वैकल्पिक तौर पर इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
पिप्पली के अन्य नाम – Pipar other names in hindi
Pipar ke fayde के इस भाग में जानिए पीपर के विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग नाम, जो इस प्रकार है:
- हिन्दी – पीपली, पीपर
- अंग्रेजी – लॉन्ग पेपर (Long pepper)
- संस्कृत – पिप्पली
- बंगाली – पिप्पली
- ओडिया – बैदेही
- उर्दू – पिपल
- मराठी – पिंपली
- गुजराती – पीपर
- तेलुगू – पिप्पलु
- तमिल – टिपिलि
- मलयालम – तिप्पली
- पंजाबी – पिप्पलीजड़
- नेपाली – पीपला
- अरबी – दारफूलफूल
- पारसी – पीपल दराज
पिपली के उपयोग – Pippali uses in hindi
पीपर के गुण तथा उपयोग निम्नलिखित मसाले और जड़ी-बूटी उपचार स्वरूप किया जाता है:
- पिप्पली का स्वाद तीखा, तासीर गर्म होता है। पीपली शरीर से त्रिदोष (कफ, पित्त, वात) नाशक होता है। पिप्पली का उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है।
- इसका उपयोग आयुर्वेद में दवा बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पिप्पली भूख बढ़ाने, पाचन शक्ति, पेट दर्द, अपच, गैस, दस्त, कृमि आदि से छुटकारा पाने के लिए उपयोग किया जाता है।
- इसे खांसी, फेफड़ों की समस्या, सिरदर्द, दांत दर्द, कोमा, मिर्गी, बुखार के इलाज के रूप में भी किया जाता है। पिप्पली के औषधीय गुणों की वजह से हैजा, अस्थमा में, कुष्ठ रोग में, प्लीहा वृद्धि, ब्रोंकाइटिस, सोरायसिस जैसे जटिल बीमारियों के प्रभाव को कम करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
- इसके अलावा इसे अनिद्रा में, थकान में, मांसपेशियों के दर्द में, नाक से पानी निकलना जैसे समस्याओं के इलाज के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि पिप्पली में मौजूद पौषक तत्व शरीर में नए ऊतकों का निर्माण करने तथा उनकी मरम्मत करने में मदद कर सकती हैं। साथ ही शरीर को ऊर्जा देने और पोषक तत्वों को पूरा करने के लिए भी कारगर माना है।
पीपर के फायदे – Pipar ke fayde

पिपली के उपयोग (Pippali uses in hindi) जानने के बाद आइए अब Pippali benefits in hindi या Pipar ke fayde को जान लेते हैं। पिप्पली के फायदे अनेक हैं पर यहाँ कुछ चुनिंदा फ़ायदों के बारे में जानेंगे, जो इस प्रकार है:
अनिद्रा में पिप्पली फायदे – Piper longum benefits for insomnia in hindi
पिप्पली अनिद्रा में एक अच्छा विकल्प हो सकता है। कई बार तनाव या किसी दूसरे कारणों से रातों में नींद खराब हो जाती हैं और आप कई दिनों तक परेशान रहते हैं। इस समस्या का समाधान के लिए पिप्पली के जड़ 1 से 3 ग्राम तक शहद या मिश्री के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इसे बीच में एक-एक दिन छोड़कर सेवन करें। इसका सेवन वृद्ध लोग भी कर सकते हैं, इस प्रयोग से नींद के साथ-साथ पाचन संबंधी विकार को भी ठीक किया जा सकता है।
खांसी में पिप्पली के फायदे – Long pepper benefits for cough in hindi
अगर किसी को खांसी की समस्या है, तो पिप्पली के उपयोग खांसी को कम करने में सहायक हो सकता है। इसके लिए आपको पिप्पली, पिप्पलीजड़, सौंठ और वसाका के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर शहद के साथ सुबह- शाम सेवन करें। इसे 10-15 दिन तक सेवन कर सकते हैं। इसके सेवन से जिद्दी खांसी, सांसों की समस्या, गले की खराश को भी कम किया जा सकता है।
अस्थमा में पीपर के फायदे – Piper longum benefits for asthma in hindi
सांस संबंधी विकारों के उपचार के लिए पिप्पली एक प्रमुख समाधान हो सकती है। यह अस्थमा या खांसी जैसी किसी भी श्वसन संबंधी बीमारीयों को कम करने के लिए एक कारगर उपाय हो सकती है। इसके इस्तेमाल से सांस के नली में जमा कफ को हटाने में मदद कर, छाती में जमाव कफ को बाहर निकलती है। इसके लिए पिप्पली, सोंठ और हल्दी के चूर्ण को बराबर मात्रा में लेकर एक गिलास गुनगुने पानी मिलाएं तथा इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर नियमित रूप से सेवन करें।
कामोत्तेजना में पिप्पली के फायदे – Pippali benefits for sexual disease in hindi
आज कल कामोत्तेजना में कमी या नपुंसकता की समस्या से कई लोग घिरे हुए हैं, तो इसके उपाय के लिए पिप्पली का सेवन किया जा सकता है। पिप्पली में यौन इच्छा को बढ़ाने वाली कामोद्दीपक गुण होता है जिससे आपके मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकती है। यह शारीरिक संतुलन को सुधारकर सेक्स की इच्छा को जागृत कर सकती है। इससे स्तंभन दोष कमकर यौन शक्ति बढ़ाने में मदद करती है। पिप्पली को गाय के घी में तलकर शहद मिलाएं तथा इसे सुबह-शाम नियमित सेवन करें। इसे लगातार सेवन करने से बचें बीच-बीच में कुछ दिनों का अंतराल में इसका सेवन करें।
मोटापा में पिप्पली के फायदे – Pippali benefits for weight loss in hindi
अगर मोटापा बढ़ गई है तो वजन घटाने के लिए पिप्पली फायदेमंद हो सकता है। मोटापा कम करने के लिए लगभग 2 ग्राम पिप्पली चूर्ण में शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। कुछ हफ्ते सेवन करने के बाद कुछ दिनों के अंतराल दें इसेके बाद फिर से सेवन करें। इसे खाने के बाद पानी नहीं पीना है जब बहुत ज्यादा प्यास लगे तभी पियें।
कब्ज में पीपर के फायदे – Pippali benefits for constipation in hindi
पिप्पली के कुछ दिन के सेवन से ही कब्ज से राहत पाया जा सकता है। पिप्पली जड़ और छोटी इलायची को दोनों को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाएं। कब्ज में लाभ के लिए 2-3 ग्राम इस चूर्ण को शहद या घी के साथ दिन में दो बार सेवन करें। इससे कब्ज के साथ-साथ पेट के अनेक रोगों में लाभ होता है।
अपच में पीपर के फायदे – Pippali benefits for indigestion in hindi
पिप्पली अपच में फायदेमंद हो सकता है। पिप्पली में एक पाचन गुण होता है, जिसका मतलब है कि यह खाने को सही से पचाने में मदद कर सकता है। इस गुण के कारण, आंतों की परत में कुछ परिवर्तन हो सकता है, जिससे पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ावा मिल सकता है। इसके लिए पिप्पली को शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे पाचक रस उत्तेजित होता है तथा भूख बढ़ाने में मदद मिलती है।
दस्त में पिप्पली के फायदे – Pippali benefits for diarrhea in hindi
पिप्पली के उपयोग से दस्त जैसी समस्याओं को भी ठीक किया जा सकता है। इसके लिए पिप्पली के चूर्ण बनाकर लगभग दो ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करें। इससे दस्त में राहत मिलती है।
पेट दर्द में पिप्पली के फायदे – Pippali benefits for stomach pain in hindi
पिप्पली या पीपर को पेट दर्द में या पेट से संबंधित अन्य रोगों में कारगर माना जाता है। जब ज्यादा खाने या किसी अन्य कारणों से पेट में दर्द, पेट में मरोड़े या बदबूदार दस्त की समस्या होने लगे तो पिप्पली इसके लिए मददगार हो सकता है। इसके लिए पिप्पली और छोटी हरड़ को समान मात्रा में लेकर इसे पीस लें तथा इसे एक छोटी चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करें।
बवासीर में पिप्पली के फायदे – Pippali benefits for piles in hindi
पिप्पली का उपयोग बवासीर के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए पिप्पली चूर्ण और भुने हुए जीरे दोनों को (लगभग आधा चम्मच) बराबर मात्रा में लेकर इसमें थोड़ी-सी सेंधा नमक मिला लें। इसका सेवन सुबह नास्ते से पहले छाछ के साथ सेवन करें। इससे बवासीर में राहत मिल सकती है।
दुग्ध वृद्धि के लिए पीपर के फायदे
उन महिलाओं के लिए जिन्हें स्तनों में दूध की कमी की समस्या है, पिप्पली का सेवन एक उपयुक्त विकल्प हो सकता है। इसके लिए 2 ग्राम पिप्पली चूर्ण में आधा चम्मच शतावर चूर्ण मिलाएं तथा इसका सेवन शहद के साथ नियमित रूप से सुबह-शाम करें। इससे कुछ ही दिनों में प्रसूता माताओं के स्तनों में दूध की वृद्धि हो जाती है।
बुखार में पीपर के फायदे – Pippali benefits for fever in hindi
आयुर्वेद के मतानुसार पीपली में ज्वरहर गुण होता है जो बुखार को कम करने में मदद कर सकती है। इससे वाइरल, सर्दी-खांसी के बुखार और कफ के कारण होने वाले बुखार अन्य कई प्रकार के बुखार में लाभ हो सकता है। पीपली चूर्ण का सेवन बुखार के लक्षणों को कम करने में मददगार हो सकता है इसके लिए आधा चम्मच पिप्पली के चूर्ण को थोड़ी सी शहद के साथ मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें।
प्लीहा विकार में पीपर के फायदे – Long pepper benefits for spleen disese in hindi
शरीर के कई विकारों के कारण तिल्ली या प्लीहा की वृद्धि होने लगती है। इसके वृद्धि होने से शरीर में कई प्रकार के गंभीर समस्या पैदा हो सकती है। इस समस्या का समाधान के लिए 2 ग्राम पिप्पली चूर्ण में थोड़ा सा शहद मिलाकर सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करें।
हृदय रोग में पीपर के फायदे – Pippali benefits for heart disease in hindi
पिप्पली हृदय रोग में, छाती में दर्द या छाती के अन्य समस्याओं में घरेलू-उपचार के रूप में मददगार हो सकता है। इसके लिए पिप्पली के जड़ तथा छोटी इलायची को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। हृदय रोगों में लाभ के लिए 3 ग्राम चूर्ण को घी के साथ सुबह और शाम सेवन करें।
जहरीले कीड़ों के जहर के लिए पीपर के फायदे
पिप्पली का एक और बेहतर उपयोग यह है, जब कोई छोटी-मोटी कीड़े-मकोड़े, किट बगेरह काट ले या डंक मार ले, तो पिप्पली को पीसकर डंक वाले अंग पर लेप करें। इसे मधू मक्खी, बिच्छू के डंक में आदि में प्रभावी माना जाता है। इससे जल्द आराम मिल सकता है।
आवाज बैठने पर पिप्पली के फायदे
जब जोर-जोर से चिल्लाने या ठंड की वजह या किसी भी कारण से गला बैठ जाती है जिससे स्पष्ट आवाज नहीं निकल पाती है तथा गले में दर्द भी हो सकता है। ऐसी स्तिथि में पिप्पली और हरड़ को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाएं तथा एक से 2 ग्राम चूर्ण को छानकर शहद के साथ सेवन करें।
पिप्पली के उपयोगी भाग – Useful part of pippali in hindi
पीपर या पिप्पली के निम्नलिखित भाग को उपयोग में लाया जाता है:
- जड़
- फल (पिप्पली)
पिप्पली किस रूप में उपलब्ध है
पिप्पली बाजार में हर समय निम्नलिखित रूप में उपलब्ध हो सकती है:
- पिप्पली का सुखा फल
- छोटी पिप्पली
- बड़ी पिप्पली
- टैबलेट
- कैप्सूल
- पिप्पली जड़ या गांठ
पिप्पली में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की मात्राएं -Long pepper nutritional value per 100g in hindi
पीपर या पिप्पली में विभिन्न पोषक तत्व पाया जाता है जिसकी मात्रा इस प्रकार होता है:
पोषक तत्व | प्रति 100 ग्राम पिपर में |
ऊर्जा | 351 कैलोरी |
कार्बोहाइड्रेट | 64 ग्राम |
प्रोटीन | 10 ग्राम |
वसा | 3.3 ग्राम |
आहारी फाइबर | 25 ग्राम |
शर्करा | 0 ग्राम |
कोलेस्ट्रॉल | 0 मिलीग्राम |
सोडियम | 20 मिलीग्राम |
विटामिन A | 299 मिलीग्राम |
विटामिन C | 21 मिलीग्राम |
विटामिन E | 4.56 मिलीग्राम |
आयरन | 28.86 मिलीग्राम |
कैल्शियम | 437 मिलीग्राम |
सोडियम | 44 मिलीग्राम |
पोटैशियम | 1259 मिलीग्राम |
फॉस्फोरस | 173 मिलीग्राम |
मैग्नीशियम | 194 मिलीग्राम |
पिप्पली के अन्य दवाइयों के साथ प्रतिक्रियाएं – Piper interaction in hindi
Pippali कुछ दवाइयों के साथ मिलकर विभिन्न प्रतिक्रिया कर सकती है जो कुछ इस प्रकार से है:
- मधुमेह विरोधी दवाओं के साथ: पिप्पली में पिपेरिन नामक रसायन पाया जाता है। जिसके कारण पिप्पली मधुमेह की दवाओं के मिलकर रक्त शर्करा को और ज्यादा कम कर सकती है। अगर आप पिप्पली और मधुमेह की दवाई दोनों को साथ में लेना चाहते हैं तो आप रक्त शर्करा को नियमित रूप से जांच करें और डॉक्टर की निगरानी में सेवन करें।
- लिवर के इलाज के दौरान: अगर लिवर के इलाज के लिए या इसे प्रभाव डालने वाली कोई भी दवा का सेवन करते हैं तो पिप्पली का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसके इस्तेमाल से लीवर द्वारा कुछ दवाओं का काम बदल सकता है और उनके प्रभाव को कम कर सकता है तथा दुष्प्रभाव का खतरा बढ़ जाता है। इस प्रकार के दवाई को एक साथ लेने के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
- रक्त के थक्के: पिप्पली शरीर में रक्त के थक्के को बनने नहीं देती इसलिए इसे (एंटीकोआगुलेंट या एंटीप्लेटलेट) एक प्रकार के रक्त के थक्के को धीमा करने वाली दवाई, दोनों को साथ में सेवन नहीं करनी चाहिए। इन दोनों को साथ में लेने से खून बहुत ज्यादा पतला हो जाता है और चोट लगने की स्तिथि में रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है।
- पिप्पली में पिपेरिन नामक रसायन होने के कारण अन्य कई प्रकार के एलोपैथी दवाई के साथ भी परस्पर क्रिया कर सकती हैं। जो दवाई के प्रभाव या दुष्प्रभाव को कम या ज्यादा कर सकती है इसलिए किसी भी दवाई के साथ इसे लेने से पहले डॉक्टर से सलाह ले लें।
- होम्योपैथी: पिप्पली को होम्योपैथी दवाई के साथ लेने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श का लें।
- यह अन्य कुछ गर्म तासीर वाले आयुर्वेदिक दवाइयों के साथ भी परस्पर प्रतिक्रिया कर सकती हैं और शरीर के गर्मी को बढ़ा सकती है। इसलिए इसे सावधानी से सेवन करें।
पिप्पली के नुकसान – Pippali side effects in hindi
पिप्पली का सेवन निर्धारित मात्रा में सीमित समय के लेने से कोई नुकसान नहीं हैं इसके अतिरिक्त यदि इसे इस हिसाब से नहीं लिया जाता है तो कुछ नुकसान हो सकता है:
- इसके निर्धारित मात्रा से अधिक लेने से शरीर की अन्दुरुनी गर्मी बढ़ती है, इससे पित्त दोष बढ़ता है तथा पेट में जलन, हाथ या पैरों में जलन, आँखों में जलन, सीने में जलन, सिरदर्द, पेशाब में जलन आदि जैसी समस्या पैदा हो सकती है।
- कुछ स्थिति में बच्चों को इसे सावधानी के साथ सेवन कराया जा सकता है लेकिन बहुत ही कम मात्रा (दिन 250 मिलीग्राम से कम) में इसे शहद या घी के साथ दिया जा सकता है।
- स्तनपान या गर्भवती महिलाओं के इस्तेमाल के लिए विशेषज्ञ की सलाह ले कर ही करें।
FAQ – Pipar ke fayde
पिप्पली क्या होता है?
पिप्पली एक प्रकार की जड़ी-बूटी होती है जो भारतीय खाद्य मसालों में प्रयुक्त होती है। मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाई बनाने में किया जाता है तथा इसे पारंपरिक रूप से घरेलू उपचार के रूप में करते आ रहे हैं।
पिप्पली के कौन-कौन से भाग उपयोग में लाए जाते हैं?
पिप्पली के फल, जड़, गांठ और पत्तियाँ उपयोग में लाए जाते हैं।
पिप्पली का वैज्ञानिक नाम क्या है?
पीपर का वैज्ञानिक नाम Piper Longum (पीपर लँगम) होता है।
पिप्पली कहाँ पायी जाती है?
पिप्पली भारत के विभिन्न भागों में पाई जा सकती है, जैसे असम, पश्चिम बंगाल, नेपाल और उत्तर प्रदेश आदि में मसाले उत्पादन के लिए किया जाता है। इसके अलावा यह केरल, कर्णाटक, तमिलनाडु, और असम में भी पाया जा सकता है। भारत के अलावा पिप्पली पौधा ज्यादातर दक्षिण एशिया के अधिकांश क्षेत्रों में पाया जाता है। यह नेपाल, बंगलादेश, श्रीलंका, इंडोनेशिया आदि जैसे देशों में व्यापक रूप से उगाई जाती है।
पिप्पली के कौन-कौन से प्रकार होते हैं?
पिप्पली चार प्रजातियों की होती हैं लेकिन आयुर्वेदिक में दवाई के रूप में केवल दो का उपयोग किया जाता है। छोटी पिप्पली और बड़ी पिप्पली, दोनों की गुण समान ही है पर कुछ स्तिथियों में इसे वैकल्पिक तौर पर इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
पिप्पली के फल का स्वाद कैसा होता है?
पिप्पली के फल का स्वाद तीखा और मसालेदार होता है, जो खाने के स्वाद में तीक्ष्णता और गर्माहट देता है।
पिप्पली के कौन-कौन से स्वास्थ्य लाभ होते हैं?
पिप्पली का सेवन पाचन में मदद कर सकता है, गले के संक्रमण का इलाज कर सकता है, और औषधीय गुणों के कारण स्वास्थ्य के कई पहलुओं में फायदेमंद होता है। यह खांसी, जुकाम आदि में राहत प्रदान कर सकती है।
पीपर कहाँ पाया जाता है
पिप्पली भारत के विभिन्न भागों में पाई जा सकती है, जैसे असम, पश्चिम बंगाल, नेपाल और उत्तर प्रदेश आदि में मसाले उत्पादन के लिए किया जाता है। इसके अलावा यह केरल, कर्णाटक, तमिलनाडु, और असम में भी पाया जा सकता है। भारत के अलावा पिप्पली पौधा ज्यादातर दक्षिण एशिया के अधिकांश क्षेत्रों में पाया जाता है। यह नेपाल, बंगलादेश, श्रीलंका, इंडोनेशिया आदि जैसे देशों में व्यापक रूप से उगाई जाती है।
अंतिम संदेश
Pipar ke fayde के इस लेख में आपने जाना Pipar या पिप्पली क्या होता है? इसमें छुपा गुण क्या है? पिप्पली के उपयोग, पीपर के फायदे तथा इनके सेवन से होने वाले संभावित नुकसान क्या है? इस लेख के माध्यम से पिप्पली से संबंधित बेहतर जानकारी देने की कोशिश की गई है, आशा है आपको पसंद आया। Pipar ke fayde के इस लेख को पूरा पढ़ने के लिए आपका, धन्यवाद!