14 Health benefits of giloy in hindi: गिलोय के फायदे

Health benefits of giloy in hindi के इस लेख में गिलोय क्या होता है, गिलोय के गुण, गिलोय के औषधीय उपयोग, गिलोय के फायदे तथा गिलोय के नुकसान को जानेंगे। इसके अलावा गिलोय के विभिन्न नाम, गिलोय कितने प्रकार के होते हैं इनके बारे में विस्तार से जानेंगे।

Contents hide
4 गिलोय के फायदे – Health benefits of giloy in hindi

गिलोय क्या होता है – Giloy in hindi

health-benefits-of-giloy-in-hindi
  • परिचय: गिलोय की बड़ी लताएं होती है तथा यह कभी न सूखने वाली लता होती है इसलिए इसे अमृता और अमृतवल्ली भी कहा जाता है। इसकी लताएं पेड़ पर चढ़ती हैं तथा जिस भी पेड़ पर चढ़ती है उस पेड़ के गुण इस लता के अंदर आ जाती है। इसलिए नीम पेड़ पर चढ़ी गिलोय को सबसे बेहतर मानी जाती है। इनके कोमल तनाओं और शाखाओं से भी जडें निकलती हैं जो पेड़ों से झूलती है।
  • पहचान: गिलोय की पहचान करने के लिए निम्नलिखित तरीकों का उपयोग कर सकते हैं:
    • पत्तियां: गिलोय की पत्तियां दिल के आकार की होती हैं तथा इनके पत्तियां हरे रंग के होते हैं।
    • तना: गिलोय का बेल रूपी तना एक बारीक, पतला और ब्राउन रंग का होता है और यह अकसर घासों और पेड़ों के साथ लिपटे हुए होते हैं।
    • इसके फूल के रंग पीले और हरे रंग के अलग-अलग गुच्छे में होते हैं जबकि इनके फल मटर के दाने जैसे होते हैं।
    • सुगंध: गिलोय के पत्तों की सुगंध मिल्दी होती है और जीरा की तरह सुगंधित होती हैं।
    • जड़: गिलोय की जड़ मोटी होती है और इसकी बाहरी परत नीली होती है।
  • वैज्ञानिक नाम: टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया (Tinospora cordifolia) है।
  • कूल का नाम: मेनिस्पर्मेसी (Menispermaceae) है।

गिलोय के अन्य भाषाओं में नाम – Giloy ke anya naam

गिलोय या गड़ुची को विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जो इस प्रकार है:

  • हिंदी: गड़ुची, गिलोय
  • अंग्रेजी: इंडियन टिनोस्पोरा (Indian tinospora), टिनोस्पोरा (Tinospora)
  • संस्कृत: अमृता
  • बंगाली: गुलांचा
  • उड़िया: गुलोची
  • गुजराती: गुलवेल
  • मराठी: गुलवेल
  • तमिल: अमृदवल्ली
  • तेलुगु: अमृता
  • नेपाली: गुर्जो
  • पंजाबी: गिलोगुलरिच
  • कन्नड़: अमृतवल्ली
  • मलयालम: पेयामृतम

गिलोय के उपयोग – Uses of giloy in hindi

  • गिलोय स्वाद में कड़वे, कसैले और गर्म तासीर के होते हैं। चयापचय के बाद यह मधुर और भारी प्रकृति का बन जाता है। गिलोय में पाचन और दीपन (भूख को बढ़ाने वाला) गुण पाया जाता है जो पाचन क्रिया को मजबूत बनाती है। इससे वात, पित्त, कफ दोषों का नियंत्रण होता है।
  • चूर्ण या टैबलेट या कैप्सल का उपयोग- पुराने बुखार, पित्त बुखार में, डेंगू बुखार, जीर्ण ज्वर, वायरल बुखार आदि के लिए किया जाता है।
  • फैटी लिवर के उपचार में तथा खांसी और बुखार में गिलोय के काढ़े का उपयोग अच्छा माना गया है।
  • जूस या चूर्ण क उपयोग- पाचन, विदग्धाजीर्ण, गठिया, आम बात, अस्थमा, और श्वास रोग, श्वसन स्वास्थ्य, डायबिटीज, मधुमेह, ब्लड शुगर का सेवन बेहतर माना जाता है।
  • पीलिया में गिलोय के ताजे पत्तों का रस या गिलोय सत्व का उपयोग करना चाहिए।
  • गिलोय की पत्तियां स्वाद में कड़वे, कसैला और तीखा होता है।
  • त्वचा विकारों में, बवासीर तथा आँखों की विकारों के लिए गिलोय के ताजे तनों का उपयोग की सलाह दी जाती है।

गिलोय के फायदे – Health benefits of giloy in hindi

14-Health-benefits-of-giloy-in-hindi-गिलोय-के-14-अचूक-फायदे

रोग प्रतिरोधक क्षमता में गिलोय के फायदे – Giloy immunity booster in hindi

जिन लोगों के शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम है। लक्षण जैसे कुछ लोगों की बहुत जल्दी किसी भी चीज से संक्रमण, एलर्जी हो जाती है- मौसम बदलते ही तबीयत खराब होना, सर्दी-खांसी, जल्दी-जल्दी तबीयत खराब होना, फल खाने से एलर्जी होना आदि। तो ऐसे में गिलोय की छोटी सी मात्रा इन एलर्जी, संक्रमण आदि से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है। इसके लिए 10-15ml गिलोय के जूस का सेवन सुबह-शाम करें। इसके नियमित सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।

बुखार में गिलोय के फायदे – Giloy for fever in hindi

गिलोय अकेले कई प्रकार के बुखार में लाभदायक हो सकता है, पुराना बुखार या क्रोनिक फीवर हो या बार-बार होने वाले बुखार, डेंगू बुखार, स्वाइन फ्लू, मलेरिया के बुखार, पाचन ठीक से न होने के कारण बुखार हो या किसी भी प्रकार का बुखार हो। इन सब पर गिलोय प्रभावी है। चूंकि गिलोय हमारे शरीर में प्लेटलेट काउंट को बढ़ाकर तथा बुखार के लक्षणों को कम करके स्थिति में सुधार कर सकती है। इसके लिए इन उपायों में से कोई भी एक उपाय अपना सकते हैं:

  • गिलोय के 1-2 टैबलेट सुबह-शाम पानी के साथ खाने के बाद सेवन करें।
  • गिलोय चूर्ण आधा चम्मच या एक ग्राम गिलोय सत्व को शहद के साथ सुबह शाम सेवन करें।
  • गिलोय का रस या काढ़ा बनाकर शहद के साथ बुखार होने पर सेवन करें।

डेंगू के लिए आप गिलोय के रस को तुलसी के पत्तों के रस के साथ मिलकर उबालें और सेवन करें। इससे जल्द परिणाम मिलते हैं।

पीलिया में गिलोय के फायदे – Giloy juice in jaundice in hindi

पीलिया में गिलोय फायदेमंद होता है। गिलोय का उपयोग पीलिया के रोग में एक प्राकृतिक और प्रभावी उपचार के रूप में किया जा सकता है, जिससे रोगी को तेजी से ठीक होने में मदद मिल सकती है। पीलिया में होने वाले दर्द और बुखार से छुटकारा पाने के लिए मरीज गिलोय के ताजे पत्तों का रस पी सकते हैं। इसके साथ, आप पीलिया से राहत पाने के लिए गिलोय सत्व का भी उपयोग कर सकते हैं। आप एक से दो चुटकी गिलोय सत्व को शहद के साथ मिला कर दिन में दो बार नाश्ते के समय या खाने के बाद ले सकते हैं।

खांसी में गिलोय के फायदे – Giloy for cough in hindi

गिलोय को खांसी में प्रभावी माना जाता है। अगर आपको कई दिनों से किसी एलर्जी के वजह से खांसी हो रही है तथा वह ठीक होने का नाम नहीं ले रही है तो ऐसे में गिलोय की एंटीएलर्जिक गुण इस खांसी से जल्दी राहत दिला सकती हैं। इसके लिए गिलोय का काढ़ा बनाकर शहद के साथ सुबह-शाम खाने के बाद सेवन करें।

एनीमिया में गिलोय के फायदे – Giloy benefits for anemia in hindi

चूंकि गिलोय में आयरन की मात्रा पायी जाती है। इसलिए यह शरीर में रक्त की कमी को पूरा कर सकती सकती है। एनीमिया या खून की कमी शरीर में कई तरह की रोगों का कारण बनती है। एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिए मददगार हो सकता है। इसके लिए गिलोय का रस या जूस 10-15 ml की मात्रा में सुबह-शाम लेनी चाहिए।

डायबिटीज में गिलोय के फायदे – Giloy for sugar patients in hindi

गिलोय मधुमेह के इलाज में मददगार हो सकता है। गिलोय औषधीय गुणों की खान है, यह डायबिटीज को नियंत्रित करने में भी प्रभावी है। गिलोय के औषधीय गुण में खून में मौजूद लिपिड और शुगर के स्तर को कम करने वाले गुण पाए जाते हैं। गिलोय को एक हाइपोग्लाईसेमिक एजेंट के रूप में भी जाना जाता है, जो टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित कर सकता है।

  • आपको खान-पान में सावधानी बरतते हुए सुबह-शाम नियमित रूप से 10-15 मिलीलीटर गिलोय जूस को एक कप पानी में मिलाकर सेवन करना चाहिए।
  • आप या तो सीधे गिलोय का जूस पी सकते हैं, जिसको पानी में मिलाकर पी सकते हैं, या फिर गिलोय के पाउडर का आधा चम्मच पानी के साथ सेवन कर सकते हैं। इसे नियमित रूप से सुबह-शाम, खाने के एक घंटे बाद सेवन करना चाहिए।

अपच में गिलोय के फायदे – Giloy benefits for indigestion in hindi

जब कब्ज, एसिडिटी या अपच की समस्या होती है, तो उदर रोगों के कई लक्षण हो सकते हैं। मन्दाग्नि के कारण अपच हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप खुल कर भूख नहीं लगती, पेट की ख़राबी हो सकती है, पेट में दर्द हो सकता है और पेट भरा हुआ महसूस हो सकता है। इसके अलावा, उल्टी, हाइपरएसिडिटी, एसिड और आंत के बीच असंतुलन भी हो सकता है।

जब शरीर में कमज़ोरी आती है और थोड़े से परिश्रम से ही थकावट होती है, तब सांस फूल जाती है और इससे कमज़ोरी और निस्तेजता महसूस होता है। नियमित रूप से एक चम्मच गिलोय चूर्ण को गर्म पानी के साथ रात में सोने से पहले सेवन करें। इससे अपच की सारी समस्याओं में मदद मिल सकती है।

गठिया में गिलोय के फायदे – Giloy benefits for arthritis in hindi

जोड़ों के दर्द अथवा गठिया से राहत पाने के लिए गिलोय मददगार हो सकता है। क्योंकि इसके औषधीय गुणों के अंदर दर्द और सूजन से राहत दिलाने वाले गुण होते हैं। अत्यधिक यूरिक एसिड के बढ़ने से भी दर्दनाक स्थिति बन सकती है। गठिया या यूरिक एसिड से छुटकारा पाने लिए 10-15 ml गिलोय जूस को एक कप पानी में मिलाकर नियमित रूप से सुबह खाली पेट सेवन करें। जब जोड़ों में तेज दर्द हो, तो गर्म दूध के साथ गिलोय पाउडर का सेवन कर सकते हैं।

त्वचा के लिए गिलोय के फायदे – Giloy benefits for skin in hindi

त्वचा रोग में, मुख्य रूप से त्वचा में जलन, खुजली, दाद, त्वचा पर फोड़े फुन्सी, चेहरे पर निकलने वाले कील मुंहासे आदि के लिए गिलोय को उपयुक्त माना जाता है। इस समस्याओं से निजात पाने के लिए गिलोय के तने का पेस्ट बनाकर इस पेस्ट को प्रभावित त्वचा पर लेप लगाएं। इस विधि से त्वचा पर मौजूद चकत्ते, कील-मुंहासो जैसे तमाम समस्याओं का समाधान हो सकता है तथा त्वचा में प्राकृतिक चमक वापस आती है।

अस्थमा में गिलोय के फायदे – Giloy benefits for asthma in hindi

गिलोय अस्थमा की समस्या, सांसो से संबंधित रोग, फेफड़े स्वस्थ के लिए उपयोगी उपचार माना जाता है। यह कफ को नियंत्रण करके शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता का विकास करती है। इसके लिए गिलोय के जूस को शहद के साथ सेवन करें। अस्थमा से बचाव के लिए गिलोय चूर्ण और मुलेठी के चूर्ण को मिलाकर शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करें।

तनाव में गिलोय के फायदे – Giloy benefits for stress in hindi

कई बार इंसान लगातार तनाव में रहने की वजह से अनिद्रा की समस्याओं का शिकार हो जाता है। गिलोय में तनाव या अनिद्रा के स्तर को कम करने की गुण पायी जाती है। यह चिंता से ग्रस्त लोगों की नसों को शांत करके तनाव को कम कर सकती है। गिलोय में कुछ शक्तिशाली एडाप्टोजेन पाई जाती है जसके कारण यह तनाव और चिंता को कम करता है। इसके लिए 10-15 ml गिलोय जूस को पानी या शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करें।

यौन रोग में गिलोय के फायदे – Giloy benefits for male in hindi

आयुर्वेद में, गिलोय को ‘वृष्य’ कहा जाता है, जिसका मतलब है कि यह आपके यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। इसका उपयोग यौन स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि नपुंसकता। गिलोय का सेवन आपकी कामेच्छा को फिर से प्रेरित करने में मदद करेगा, जिससे आपको यौन समस्याओं से निपटने में मदद मिल जाएगी। इसी प्रकार, यह अनैच्छिक या अत्यधिक स्खलन या शुक्राणुनाशक को नियंत्रित करने में भी सहायक हो सकता है। इसके लिए 10-15ml गिलोय के जूस का सेवन सुबह-शाम करें। इसे खाली पेट सेवन करें।

पैर की तलवों में जलन के लिए गिलोय के फायदे – Health benefits of giloy in hindi

पैर की तलवों में जलन उनकी गर्मी लिवर के विकार, या कब्ज के कारण हो सकती है। इस समस्या से राहत पाने के लिए, गिलोय के औषधीय गुण लाभकारी हो सकते हैं। गिलोय और एरण्ड बीज को समान वजन में लेकर दही के साथ पीसें, और फिर इस मिश्रण को तलवों पर लगाकर लगभग एक घंटा तक रखें, फिर उसे धो लें।

फाइलेरिया (हाथीपाँव) में गिलोय के फायदे – Giloy benefits for Filariasis in hindi

फाइलेरिया (हाथीपाँव) के इलाज के लिए गिलोय के रस 10-20 ml तथा सरसों के तेल 30 ml मिलाकर सुबह-शाम खाली पेट नियमित रूप से सेवन करें। इससे हाथीपाँव या फाइलेरिया रोग में लाभ हो सकता है।

गिलोय के उपयोग होने वाले भाग – Giloy plant uses in hindi

ज्यादातर गिलोय के इन भागों का इस्तेमाल औषधियों के रूप में किया जाता है:

  • गिलोय के बेल या तने
  • पत्तियां

गिलोय किस रूप में उपलब्ध है

बाजार में गिलोय निम्नलिखित रूप में उपलब्ध है:

  • गिलोय टैबलेट
  • कैप्सूल
  • पाउडर या चूर्ण
  • जूस
  • गिलोय अर्क

गिलोय में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की मात्राएं – Giloy nutritional value per 100g in hindi

गिलोय के विभिन्न भागों में पोषक तत्व की मात्राएं निम्न प्रकार से मिलता है:

गिलोय पोषक तत्वप्रति 100 ग्राम में
ऊर्जा (चूर्ण में) 292.54 कैलोरी
प्रोटीन (चूर्ण में) 15.9 ग्राम
वसा (पत्तियों में) 0.36 ग्राम
फाइबर (जूस) 16.19 ग्राम
विटामिन C (पत्तियों में) 56 मिलीग्राम
कार्बोहाइड्रेट (चूर्ण में) 61.66 ग्राम
शुगर (चूर्ण में) नील
आयरन (पत्तियों में) 5.87 मिलीग्राम
कैल्शियम (पत्तियों में) 85.247 मिलीग्राम
विटामिन A (पत्तियों में) 303.7 माइक्रोग्राम
गिलोय के विभिन्न अवयवों में मिलने वाले पोषक मात्राएं

गिलोय के अन्य दवाइयों के साथ प्रतिक्रियाएं – Giloy interaction in hindi

  • गिलोय के बायोएक्टिव यौगिक अन्य दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकते हैं, जिससे दवाओं के पूर्ण उपयोग को प्रभावित कर सकती है।
  • मधुमेह के दवाई के साथ : गिलोय मधुमेह कम करने वाली दवा के साथ परस्पर क्रिया कर सकता है, जो रक्त शर्करा को बहुत ज्यादा कम कर सकता है। इसलिए, यदि आप मधुमेह कम करने वाली दवाओं के साथ गिलोय का सेवन करते हैं, तो आपको नियमित रूप से रक्त शर्करा की निगरानी की जरुरत है।
  • गिलोय एंटी-कोएगुलेटिंग दवाओं (रक्त को पतला करने वाली) के साथ भी प्रभावित हो सकता है, जिससे रक्त के थक्के जमने की समस्या हो सकती है।

गिलोय के नुकसान – Side effects of giloy in hindi

निम्न रक्तचाप: वे लोग जिनका पहले से ही निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) है, उन्हें गिलोय का सेवन करते समय सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि गिलोय भी ब्लड प्रेशर को कम कर सकती है। इससे मरीज की स्थिति और भी बिगड़ सकती है।

मधुमेह के उपचार: अगर आप मधुमेह कम करने वाली दवाएं ले रहें हैं, गिलोय से सावधान रहें, क्योंकि इसका सेवन आपके रक्त शर्करा को कम कर सकता है।

गर्भावस्था या स्तनपान: स्तनपान और गर्भावस्था के दौरान गिलोय के उपयोग के संबंध में कोई मेडिकल प्रमाण नहीं है, इसलिए इसकी सेवन की सलाह नहीं दी जाती।

ऑटो इम्यून बीमारियों का खतरा: जब हम गिलोय का सेवन करते हैं, तो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, लेकिन कभी-कभी प्रतिरोधक अत्यधिक सक्रिय हो जाने से (ऑटो इम्यून) स्व-प्रतिरक्षित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, मल्टीपल स्केलेरोसिस या रूमेटाइड गठिया जैसी ऑटो इम्यून बीमारियों से पीड़ित लोगों को गिलोय का सेवन सावधानी से करना चाहिए।

सर्जरी के दौरान या उसके बाद: किसी भी सर्जरी की प्रक्रिया के दौरान या उसके बाद, गिलोय रक्त शर्करा के स्तर में प्रभाव डाल सकती है, इसलिए इसे निर्धारित समय से कम से कम दो सप्ताह पहले बंद कर देनी चाहिए।

एलर्जी: कुछ लोगों को गिलोय से एलर्जी हो सकती है इसलिए इसका इस्तेमाल चिकित्सकीय परामर्श के बाद ही करें।

FAQ – Health benefits of giloy in hindi

गिलोय क्या होता है?

गिलोय एक बेल रूपी पौधे होती है तथा यह कभी न सूखने वाली लता होती है। इसकी लताएं पेड़ पर चढ़ती हैं तथा जिस भी पेड़ पर चढ़ती है उस पेड़ के गुण इस लता के अंदर समा जाती है। इसलिए नीम पेड़ पर चढ़ी गिलोय को सबसे बेहतर मानी जाती है। इसका उपयोग बड़ी गुणकारी माना जाता है।

गिलोय की तासीर कैसे होती है?

गिलोय की तासीर गर्म होती है। इसमें पाचन और दीपन गुण पाया जाता है जिसके कारण यह पाचन क्रिया को जल्द दुरुस्त करता है जिससे अपच दूर होती है। इसके सेवन से वात, पित्त, कफ को नियंत्रण में रहता है।

गिलोय खाने के नुकसान क्या है?

उचित मात्रा और जरूरत के हिसाब से सेवन किया जाए तो इसमें नुकसान नहीं होता। गिलोय का सेवन स्वास्थ व्यक्ति और रोगी दोनों ही कर सकते है। लेकिन कुछ स्तिथियों में गिलोय की सेवन की सलाह नहीं दी जाती है जैसे- निम्न रक्तचाप में, मधुमेह के अन्य उपचार के दौरान, सर्जरी के दौरान या उसके बाद, गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान आदि।

क्या गिलोय का सेवन गर्भवती महिलाएं कर सकती हैं?

गर्भावस्था के दौरान गिलोय के उपयोग के संबंध में कोई वैज्ञानिक ठोस प्रमाण नहीं है, इसलिए इसकी सेवन की सलाह नहीं दी जाती।

गिलोय कहाँ पाया जाता है

यह भारत के लगभग सभी राज्यों के क्षेत्रों में पायी जाती है। इसकी लताएं जंगल में और खेतों में प्राकृतिक रूप से बढ़ती है, लेकिन आज कल कई लोग इसे अपने बगीचों में भी उगाते हैं। गिलोय भारत के अलावा श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और मलेशिया के अन्य कुछ हिस्सों में पाया जाता है।

गिलोय कितने प्रकार के होते हैं

गिलोय कई प्रकार की होती है, लेकिन मुख्य रूप से तीन मुख्य प्रजातियाँ जिनका उपयोग दवाई के रूप में की जाती हैं:
Tinospora cordifolia (गिलोय): यह सबसे प्रसिद्ध और आयुर्वेदिक चिकित्सा में उपयोग होने वाली प्रजाति है। इसे गडुची, गिलोय, अमृता, वत्सादनी आदि नामों से जाना जाता है।
Tinospora crispa (गुडूची): यह प्रजाति भी गिलोय के रूप में प्रयोग होती है और इसे गुडूची के नाम से जाना जाता है।
Tinospora sinensis (सिनेंसिस गिलोय): यह भी गिलोय का एक प्रकार है और इसे सिनेंसिस गिलोय के नाम से जाना जाता है।

अंतिम संदेश

Health benefits of giloy in hindi के इस लेख में आपने जाना गिलोय क्या होता है? इसमें छुपा गुण क्या है? उपयोग, फायदे तथा इनके सेवन से होने वाले संभावित नुकसान क्या है? इस लेख के माध्यम से गिलोय से संबंधित बेहतर जानकारी देने की कोशिश की गई है, आशा है आपको पसंद आया। Health benefits of giloy in hindi के इस लेख को पूरा पढ़ने के लिए आपका, धन्यवाद!

Social Share:

नमस्कार दोस्तों, मैं इंडिया के सबसे बड़े लौहनगरी जमशेदपुर, झारखंड से हूँ। मैं इस ब्लॉग का लेखक और संस्थापक हूँ और इस ब्लॉग पर प्राकृतिक आयुर्वेदिक स्वास्थ्य, जड़ी-बूटियों की जानकारी, प्राकृतिक उपचार, घरेलू उपचार से संबंधित जानकारी नियमित साझा करता रहता हूँ।

Discover more from Success Samadhan

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading